
कोरबा। मन में इच्छाशक्ति हो तो पढऩे-लिखने से लेकर आगे के लक्ष्य को सुनिश्चित करने में कुछ भी कठिन नहीं होता। अतीत में कई ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं और उसमें कई लोगों इस धारणा को साबित कर दिखाया है। इससे प्रेरित होकर इस जमाने के युवा छोटे-मोटे काम से जुडक़र उच्च शिक्षा लेने के लिए बढ़ चले हैं। साफ-सफाई के काम में संलग्न अमित सुरन्द्रे का नाम भी शामिल है इस कड़ी में। उनका सपना भविष्य में ऊंचे दर्जे का अधिवक्ता बनने का है। उन्होंने विधि संकाय में प्रवेश लेने के साथ दो सेमेस्टर क्वालीफाई कर लिए हैं।
सडक़ों पर साफ-सफाई समेत दूसरे कामकाज करने वाले लोगों को देखकर आप बात का आंकलन बिल्कुल नहीं कर सकते कि वह कौन है और उनका इरादा आगे क्या करने का है। सामान्य तौर पर डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन से लेकर स्ट्रीट स्वीपिंग के काम से लगे हुए कई लोगों के बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर फैली बेरोजगारी की समस्या के कारण इन लोगों ने पढऩे के साथ छोटे काम को करना स्वीकार किया। उन्होंने यह नहीं देखा कि काम का स्तर क्या है और लोग ऐसा करते हुए देखकर क्या सोचेंगे। कोरबा के गेरवाघाट क्षेत्र में रहने वाले अमित सुरन्द्रे ने स्वच्छता संबंधी पेशे को अपनाने के साथ जहां परिवार को आर्थिक रूप से ऊंचा उठाने का प्रयास किया वहीं अपनी अच्छी पढ़ाई का खर्चा निकालने का ताना-बाना भी बुन लिया। उसकी पूरी शिक्षा कोरबा शहर से ही हुई है। यूपी के महोबा जिले से वास्ता रखने वाले अमित छत्तीसगढ़ में सामान्य संवर्ग में शामिल हैं और इसी कोटे से पढ़ाई के साथ दूसरे कामकाज को करने में बिना किसी संकोच के आगे बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से इस युवक पर हमारी नजर थी, जिन्हें पानी टंकी जोन के अंतर्गत आने वाले शारदा विहार वार्ड और अन्य क्षेत्र में इस प्रकार के काम करने के बीच समय निकालकर पढ़ाई करते हुए देखा जा रहा था। उत्सुकतावश जब जानकारी हुई तो मालूम चला कि मजबूरी कहें या आवश्यकता, इस बात को ध्यान में रख उन्होंने काम के साथ पढ़ाई करना जारी रखा है। पहले कला संकाय में स्नातक पूरा किया और अब वकालत की शिक्षा प्राप्त करने पर ध्यान दिया। अमित ने बताया कि उनके पिता बबलू सुरन्द्रे की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि बच्चों के लिए बेहतर किया जा सके इसलिए हमने अपने इरादे को मजबूती देने के लिए ऐसा किया। खुशी इस बात की है कि अब घर के लिए आर्थिक योगदान दे रहे हैं और भविष्य गढऩे के लिए रास्ते खुद निकाल लिये हैं। प्रायमरी से लेकर हायर सेकेंडरी ही नहीं बल्कि स्नातक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने वाले अमित ने विधि के प्रथम दोनों सेमेस्टर उच्च अंकों से उत्तीर्ण करने में सफलता प्राप्त की। उसे उम्मीद है कि अंतिम परीक्षा भी कुछ ऐसे ही अंकों के साथ उत्तीर्ण कर ली जाएगी। उन्होंने आस्था वाली दृष्टिकोण के साथ बताया कि शिक्षा सबके लिए जरूरी है और मेरा मानना है कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सम्मान दिलाने का सबसे बड़ा माध्यम बनती है। सामाजिक और दूसरे स्तर पर जिस प्रकार की समस्या और चुनौतियां हैं, उसके लिए विधि क्षेत्र में शामिल होकर न केवल केरियर बनाया जा सकता है बल्कि अधिकारों के बारे में बड़े वर्ग को सजग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अब तक के दौर में कई लोगों से अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरणा मिली है और इसी का नतीजा है कि आज वे यहां तक बढ़ सके हैं।
जाति प्रमाण पत्र की चिंता नहीं
चौतरफा जाति जनगणना और जाति प्रमाण पत्र के साथ कोटा को लेकर मची हुई हायतौबा के बीच अमित सुरन्द्रे ने इस बात की चिंता बिल्कुल नहीं कि छत्तीसगढ़ में उसे प्रमाण पत्र के चक्कर में नुकसान हो रहा है। यूपी के निवासी अमित को वहां शेड्यूल कास्ट में रखा गया है लेकिन छत्तीसगढ़ में उसकी जाति इस संवर्ग में नहीं है। इसलिए वह इस झमेले से बाहर रहकर अपनी क्षमता के दम पर आगे बढ़ रहा है।