जांजगीर चंपा। 26 जून से स्कूल खुलते ही स्कूलों में भीड़ बढ़ी है साथ साथ अभिभावकों का बजट भी बढ़ गया है। सबसे अधिक खर्च कापी किताब व ड्रेस मटेरियल में खर्च हो रहा है। जिसके चलते अभिभावकों का बजट जुलाई के महीने में गड़बड़ा गया है। सबसे अधिक पीड़ा सालाना सिलेबस चेंज होने से हो रहा है। सरकार हर साल सिलेबस चेंज की जा रही है, जिसके चलते कापी किताबें हर बार बदलनी पड़ रही है। यदि सिलेबस नहीं बदलते तो अधिकतर अभिभावक पुरानी किताबों का इस्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। स्कूल खुलते ही बुक डिपो में बेतहासा भीड़ देखी जा रही है। यहां तक कि बुक डिपो संचालक ग्राहकों को यह बोलते नजर आ रहे हैं कि हमारे पास समय नहीं है किताबें लेना है तो जल्दी लो। नहीं तो चलते बनो। सरकार से अधिक बुक डिपो संचालकों की मनमानी चल रही है। क्योंकि ये स्कूल वाइज ठेका ले लिए होते हैं। निजी स्कूल संचालकों से इनका टाईअप पहले से बन जाता है। जो निजी स्कूल संचालक किस बुक डिपो से टाईअप करता है उस स्कूल की कापी किताबें केवल उसी चिन्हांकित बुक डिपो से मिलती है। बुक में इनका कमीशन तो फिक्स रहता ही है कॉपी में भी इनका भरपूर कमीशन फिक्स कर दिया जाता है। कॉपी में स्कूल का लोगो लगाकर कॉपी खरीदने के लिए भी चिन्हित बुक डिपो से अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है। निजी स्कूल संचालक व बुक डिपो संचालकों के बीच टाईअप का खामियाजा अभिभावकों को भारी पड़ रहा है। स्थिति तो यहां तक नौबत आ जाती है कि अभिभावकों व बुक डिपो संचालकों के बीच बहस हो जाती है। लेकिन झुकना अभिभावकों को ही पड़ता है। क्योंकि उन्हें एक एक अच्छे स्कूल में दाखिला जो कराना होता है। इसके बाद जो खर्च पड़ता है वह अभिभावकों की जेब ढीली कर देता है। नहीं मिलता दूसरे बुक डिपो में किताब छात्र या अभिभाव यदि अपने क्लास का बुक लेने तय स्थान में नहीं मिलने पर दूसरे बुक स्टॉल में जाता है तो वह बुक दूसरे बुक स्टॉल में नहीं मिलता। जिसके चलते उसकी पढ़ाई प्रभावित होती है। वहीं सिलेबस चेंज होने से छात्रों को बड़ी परेशानी होती है। अमूमन एक अप्रैल से निजी स्कूलों का नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाता है। इस दौरान यदि आप तय स्थानों से कापी किताब ले लिए तब तो ठीक है नहीं तो यह बुक आप ढूंढते रह जाओगे। क्योंकि निजी स्कूल संचालकों की डिमांड व दर्ज संख्या के हिसाब से बुक मंगाई जाती है। बाद में छात्र उसी बुक को लेने के लिए एक शहर से दूसरे शहर में भटकते रहता है लेकिन उसे बुक नहीं मिल पाता। निजी स्कूल संचालकों से बुक डिपो का टाईअप होना गलत है। हर बुक डिपो में हर निजी स्कूल की किताबें मिलनी चाहिए। ऐसे लोगों के खिलाफ शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। – एचआर सोम, डीईओ