नईदिल्ली, १७ जुलाई [एजेंसी]।
यूएई के बाद भारत आने वाले दिनों में इंडोनेशिया के साथ भी स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने का समझौता कर सकता है। इसके लिए रविवार को दोनों देशों की वित्त मंत्रियों ने आर्थिक व वित्तीय वार्ता (ईएफडी) की शुरुआत की घोषणा की।इस वार्ता के दौरान स्थानीय मुद्रा में कारोबार की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। गांधीनगर में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के सम्मेलन (एमएमसीबीजी) से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इंडोनेशिया के वित्त मंत्री सिरी मुलयानी इंद्रावती ने ईएफडी की शुरुआत की घोषणा की।
इस अवसर पर सीतारमण ने कहा कि दोनों विकासशील देशों की चुनौतियां एक जैसी हैं और यह वार्ता उन्हें आपसी हितों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने और वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों के वित्तीय हितों की पैरवी करने का ज्यादा अवसर देगा। इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार देश है। वर्ष 2005 के बाद इनके बीच द्विपक्षीय कारोबार आठ गुना बढ़ चुका है। वर्ष 2022-23 में इनका द्विपक्षीय कारोबार 38 अरब डॉलर था। स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की चाहत दोनों देश रखते हैं। इससे डालर पर इनकी निर्भरता कम होगी और अपनी मुद्राओं में होने वाले उतार-चढ़ाव के खतरे से बच सकेंगे।सीतारमण ने यह भी कहा कि वैश्विक वित्तीय स्थिरता में भारत के साथ ही दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों की भूमिका अहम है।
इएफडी से इन दोनों पक्षों के बीच जी-20, विश्व व्यापार संगठन, आसियान जैसे संगठनों में नीतिगत सामंजस्य बनाने में ज्यादा मदद मिलेगी। दोनों देशों के बीच निवेश बढ़ाने के मुद्दे पर भी बात होगी और एक दूसरे से सीखने की कोशिश होगी।उन्होंने फिनटेक (वित्तीय क्षेत्र में तकनीक का उपयोग) और आम जनता को वित्तीय ढांचे से जोडऩे की व्यवस्था को दो ऐसे क्षेत्र बताए जिससे दोनों देश एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं। आसियान क्षेत्र में इंडोनेशिया भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार देश है। इंडोनेशिया की वित्त मंत्री सिरी मुलयानी इंद्रावती ने कहा कि भारत हमारी तरह ही एक विकासशील देश है। दोनों अर्थव्यवस्थाएं काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। हमारी चुनौतियां भी समान हैं। दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ रहा है लेकिन यह मौजूदा क्षमताओं को देखते हुए काफी कम है। पर्यावरण, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रो मे भी इनके बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।