प्रयागराज, १८ जुलाई [एजेंसी]।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इवि) में धरना-प्रदर्शन के लिए चीफ प्राक्टर की अनुमति लेने के आदेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सोमवार को इस निर्णय के विरोध में प्रदर्शन करने पहुंचे कुछ छात्रों को रोकने के लिए विश्वविद्यालय परिसर को छावनी बना दिया गया।छात्रसंघ भवन द्वार से लेकर लाइब्रेरी द्वार तक पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई। आदेश की प्रति जलाने का प्रयास कर रहे छात्रों को फोर्स ने छात्रसंघ भवन से बाहर कर दिया। जहां छात्रों की पुलिस और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों से घंटों नोकझोंक हुई। वहीं, दूसरी ओर छात्रों की गिरफ्तारी और धरना-प्रदर्शन की अनुमति के आदेश को अलोकतांत्रिक बताते हुए पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मीडिया अध्ययन के छात्र आशुतोष कुमार दुबे की 11 जुलाई को संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई, जिसके बाद विश्वविद्यालय के विरोध में बुधवार को छात्रों ने तोडफ़ोड़ की थी। इस प्रकरण में विश्वविद्यालय ने 14 छात्रों के खिलाफ लूटपाट, तोडफ़ोड़ सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में दो छात्र नेताओं जितेंद्र धनराज और अजय यादव सम्राट को गिरफ्तार कर लिया गया।
कुलसचिव ने रविवार को पत्र जारी कर धरना-प्रदर्शन के लिए चीफ प्राक्टर की पूर्व अनुमति अनिवार्य करने के साथ विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए छात्रों को अपने साथ परिचय पत्र रखने की हिदायत दी थी। हंगामे की आशंका को देखते हुए विश्वविद्यालय में भारी फोर्स तैनात कर दी गई थी। दोपहर 12 बजे आधा दर्जन छात्रनेता आदेश की प्रति जलाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर कर दिया। इस बीच पुलिस अधिकारियों और छात्रों के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई। छात्र धरना-प्रदर्शन पर रोक के इस निर्णय का विरोध कर रहे थे। जिसके बाद छात्रों ने व्यवस्था के विरोध में ज्ञापन दिया।पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा कि छात्रों की आवाज दबाने के लिए यह अलोकतांत्रिक आदेश है। छात्र अपनी जायज मांग के लिए कहां जाएंगे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय कैंपस ही नहीं देश के हर विश्वविद्यालय में छात्र अपना विरोध जताते हैं। अब उनका यह अधिकार छीना जा रहा है।इस तरह कर्मचारी और शिक्षक संघ को भी भंग कर देना चाहिए। पूर्व छात्रसंघ महामंत्री प्रदीप मिश्र अंशुमन ने आदेश को अनुचित और तानाशाही भरा बताते हुए कहा कि सभी पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों से संपर्क कर डीएम और पुलिस कमिश्नर के माध्यम से बात रखी जाएगी। कुलपति से मिलने का प्रयास करेंगे।वहीं पूर्व अध्यक्ष विनोद चंद दुबे ने कहा कि यह निर्णय अलोकतांत्रिक है। विश्वविद्यालय एक शिक्षण संस्थान है पर आदेश ब्यूरीक्रेसी वाले हैं। केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखेंगे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इवि) में मीडिया अध्ययन विभाग के छात्र आशुतोष दुबे की मृत्यु के बाद एंबुलेंस समय पर न भेजने के आरोपों को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सफाई दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 26 बिंदुओं में पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट जारी की है। जनसंपर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने बताया कि 11 जुलाई की दोपहर साढ़े 12 बजे आशुतोष दुबे छात्रसंघ भवन के पास गश खाकर गिर पड़ा।
छात्रसंघ भवन से ही बेहोश छात्र को ई-रिक्शा में बैठाकर छात्र अस्पताल ले जाया गया।ई-रिक्शा इसी गेट से अंदर और बाहर गया था। सुरक्षाकर्मियों द्वारा गेट नहीं खोलने की बात गलत है। किसी छात्र के फोन आने के बाद डीएसडब्ल्यू कार्यालय को फोन किया। वहां से तत्काल एम्बुलेंस भेजी गयी पर तब तक बेहोश छात्र को ई-रिक्शा से लेकर छात्र जा चुके थे।डीएसडब्ल्यू कार्यालय से एंबुलेंस के फोन के द्वारा बताई गयी लोकेशन पर आने और वापस होने के विजुअल (सीसीटीवी फुटेज) मौजूद हैं। विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारी, चीफ प्राक्टर, मीडिया स्टडीज विभाग के डा. धनंजय चोपड़ा अस्पताल भी पहुंचे थेप्रो. जया कपूर ने कहा कि छात्र के पिता विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं पुलिस से बार-बार यही आशंका व्यक्त कर रहे थे कि मेरे बेटे को पारिवारिक संपत्ति के लालच में जहर देने का शक जता रहे थे।इस बीच पूर्व छात्र अजय सिंह यादव ने छात्र के पिता को गुमराह किया और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाई। जिसके बाद से विश्वविद्यालय में तोडफ़ोड़ हुई।चीफ प्राक्टर डा. राकेश सिंह ने वहां मौजूद पुलिस से घटना का राजनैतिक दुरुपयोग की आशंका जताई थी। साथ ही कहा कि मृत छात्र के परिवार को मिलने वाले नियमानुसार बीमा आदि की प्रक्रिया को विश्वविद्यालय ने शुरू की है।