नईदिल्ली, ०7 जुलाई [एजेंसी]। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गुरुवार रात व्यवसायी दिनेश अरोड़ा को गिरफ्तार किया। अरोड़ा को उसी मामले में सरकारी गवाह घोषित किया गया है जिसकी जांच सीबीआई भी कर रही है। व्यवसायी कथित तौर पर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया का करीबी है, जो उत्पाद शुल्क नीति मामले में आरोपी हैं। ईडी द्वारा इस मामले में यह 13वीं गिरफ्तारी है।हालांकि, ईडी ने गिरफ्तारी पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। ईडी ने अपने पिछले आरोप पत्र में दावा किया है कि अरोड़ा ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी फंड के संग्रह के रूप में सिसोदिया को 82 लाख रुपये दिए थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक विशेष अदालत के समक्ष याचिका दायर कर मामले में उन्हें सरकारी गवाह बनाने की अनुमति मांगी थी।वहीं इस मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी दोनों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों मामलो में जमानत देने से इंकार कर दिया था। ईडी और सीबीआई द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति ने गुटबंदी की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है।दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप की सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद उत्पाद शुल्क नीति को रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। ईडी ने एक पूरक आरोपपत्र में श्री सिसौदिया पर दिनेश अरोड़ा के माध्यम से मामले में आरोपी एक अन्य व्यवसायी अमित अरोड़ा से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। जांच एजेंसी ने इस रिश्वत राशि को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध की आय बताया है। अमित अरोड़ा शराब कंपनियों बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, पॉपुलर स्पिरिट्स और केएसजेएम स्पिरिट्स एलएलपी के प्रमोटर हैं।दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल 16 नवंबर को मामले में दिनेश अरोड़ा को सरकारी गवाह बनाने की सीबीआई की याचिका स्वीकार कर ली थी और उन्हें माफ कर दिया था।