श्रीनगर, ११ जुलाई [एजेंसी]। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर उच्चतम न्यायालय में केंद्र द्वारा दाखिल हलफनामे की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें तर्क का अभाव है और इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, ”केंद्र के बचाव में तर्क का अभाव है। अनुच्छेद 370 को हटाना अवैध और असंवैधानिक है।” उन्होंने दावा किया, ”जम्मू-कश्मीर के लोगों को गारंटी देने वाले भारतीय संविधान को नष्ट करने के लिए बहुमत का दुरुपयोग किया गया और भारत सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय के उन पूर्ववर्ती फैसलों का भी उल्लंघन किया, जिसमें कहा गया था कि केवल जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ही भारत के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश कर सकती है। ” नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी ट्विटर पर कहा कि सरकार द्वारा दी गई दलीलें राजनीतिक हैं और उनमें कानूनी वैधता की कोई गुंजाइश नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने का बचाव करते हुए केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि यह कदम उठाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर के पूरे क्षेत्र में ‘अभूतपूर्व’ शांति, प्रगति और समृद्धि देखने को मिली है। केंद्र ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा सड़कों पर की जाने वाली हिंसा और अलगाववादी नेटवर्क अब ‘अतीत की बात’ हो चुकी है। केंद्र के हलफनामे पर मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गौर करेगी। पीठ द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई की जानी है।