कोरिया बैकुंठपुर। लगभग 15 वर्ष के बाद काग्रेस विगत साढ़े चार साल से कांग्रेस सत्ता में आई है। वह भी तब जब घोषणापत्र में कांग्रेस ने लोक लुभावन घोषणाएं की जिस घोषणा पत्र के प्रभारी सरगुजा के महाराज टी एस सिंह देव रहें। लेकिन कांग्रेस आलाकमान द्वारा सबको हैरान करते हुए भूपेश सरकार को मुख्यमंत्री के रूप में कमान दी गई और सिंहदेव को स्वास्थ्य मंत्री के रूप में संतोष करना पड़ा । लेकिन कांग्रेस की राजनीति ने कभी भी टीएस सिंह देव को गंभीरता से नहीं लिया और ढाई ढाई साल की मुख्यमंत्री के वादे को भूलकर मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश सरकार को यथावत रखा हालाकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है लेकीन यह बात किसी से छुपी भी नहीं है। और इन साढ़े चार साल के कार्यकाल में कई बार सरगुजा महाराज टी एस सिंहदेव को नजरअंदाज किया गया लेकिन महाराज सिंह देव ने भी अपने सहनशीलता का परिचय दिया और कांग्रेस पार्टी से किसी अन्य दल में जाने से साफ तौर पर इंकार करते नजर आए लेकिन सोचने वाली बात यह है कि, ऐसा क्या हुआ कि जिस इंसान को हमेशा से नजरअंदाज किया गया आज उसे अचानक से उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठा दिया गया जबकि अब चुनाव महज कुछ महीनों में ही संपन्न होने हैं यह इस बात को साफ तौर पर दर्शाता है कि टी एस सिंहदेव का विरोध करना भुपेश सरकार के लिए बहुत बड़ी क्षति है । कांग्रेस अपने घोषणाओं पर खरी नहीं उतर सकी है इस कारण उसे अपने सत्ता जाने का डर सताने लगा है और यह इनके मतभेदों को मिटाने की नाकाम कोशिश है। हालांकि टी एस सिंहदेव एवं भूपेश बघेल ने कभी भी गुटबाजी होने की बात को स्वीकार नहीं किया लेकिन समर्थकों ने इस बात को हमेशा से साबित किया है कि वे अपने अपने नेताओं के साथ हैं कांग्रेस में कुर्सी का लोभ अत्यंत चरम पर है जिस कारण ढाई ढाई साल वाला फार्मूला इनका फेल हो गया किंतु सोचने वाली बात है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिंह देव को आलाकमान द्वारा अंतिम समय में उपमुख्यमंत्री के पद पर स्थापित करना पड़ा इसका सीधा कारण है कि अब कांग्रेस को सत्ता जाने का डर सताने लगा है और ऐसे में यदि कांग्रेसियों का एक भी नीव का पत्थर हिला तो कांग्रेस सरकार धड़ाम से जमीन पर आएगी क्योंकि जनता तो तत्कालीन सरकार की नीतियों को देख चुकी है और सरकार को उन पर पूरा भरोसा है कि अगली सरकार इनकी नहीं होगी ।