पंडाल को बचाने करने पड़ रहे प्रबंध
कोरबा। नवरात्र पर्व के पांच दिन बाकी हैं। इधर बारिश का रूख बना हुआ है। अचानक इसमें हो रहा परिवर्तन लोगों को कुछ देर के लिए खुश जरूर करता है, लेकिन बाद में स्थिति जस की तस हो जाती है। जिस तरह से हालात बन बिगड़ रहे हैं। उससे दुर्गा पूजा समितियों कि चिंता बढ़ी है और चुनौतियां भी। वे भ्रम में नहीं रहना चाहती, इसलिए पूजा पंडाल को बचाने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़ रहे हैं।
बारिश के रूख के चलते इस बार विभिन्न स्थान पर होने वाले दुर्गा पूजा के कार्यक्रमों का बजट ना केवल बिगड़ रहा है। बल्कि ज्यादा प्रबंध भी करने पड़ रहे हैं। अधिकांश स्थानों पर नगरीय निकायों द्वारा तैयार किये गए पूजा पंडाल मौजूद हैं। इनके ढांचे में पानी के रिसाव बाहरी हिस्से से पानी की पहुंच अंदर की व्यवस्था को बिगाड़ रही है। हर हिस्से में तारपोलिन जरूरी हो गया है। इतना सब करने के बाद मूर्ति और अन्य व्यवस्था को सुरक्षित करना संभव हो सकेगा। समितियों का कहना है कि कुछ घंटे के लिए बारिश थमने और धूप निकलने के नजारे भले ही देखने को मिल रहे हैं, लेकिन यह सब विश्वसनीय बिल्कुल नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से बारिश को लेकर जो सूचनाएं जारी हो रही हैं, वे सच नहीं मानी जा सकती। हमने तय किया है कि मौसम के रूख को किनारे रखते हुए अपने स्तर पर उत्सव मनाया जाएगा और सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।
धन संग्रह में भी अड़चनें
भले ही दुर्गा पूजा समितियों ने प्राथमिक तैयारियां एक पखवाड़ा से भी पहले शुरू कर दी लेकिन बारिश के चक्कर ने काफी व्यवधान डाला। इस वजह से लगभग सभी स्थानों पर आयोजन के लिए सामाजिक स्तर पर धन संग्रह करने में अड़चने उत्पन्न हुई। अब मौसम खुलने के साथ समितियां सक्रिय हुई है। उन्होंने अनुकूल स्थिति का लाभ लेने का मानसिकता बनायी है। उनका कहना है कि भले ही भुगतान के ऑनलाईन पेमेंट का विकल्प बना हुआ लेकिन चंदा के मामले में तो लोगों से प्रत्यक्ष संपर्क करना होगा।