
नईदिल्ली, १४ अक्टूबर । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जस्टिस डी सी चौधरी को चंडीगढ़ की क्षेत्रीय पीठ से कोलकाता स्थानांतरित करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के अध्यक्ष के प्रशासनिक विवेकाधिकार पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, जिनकी न्यायाधीश के रूप में उत्कृष्ट छवि है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला तथा जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने रक्षा मंत्रालय की जगह केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय को न्यायाधिकरण के लिए मूल मंत्रालय बनाने के एएफटी बार एसोसिएशन आफ चंडीगढ़ के एक अन्य आवेदन पर केंद्र से जवाब मांगा है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ में एएफटी की क्षेत्रीय शाखा में दिव्यांगता पेंशन पर गिरोह संचालित होने का आरोप लगाया और कहा कि यदि वह इससे ज्यादा बोलेंगे तो पूरा पिटारा खुल जाएगा। उन्होंने एक उदाहरण दिया जिसमें एक व्यक्ति की 1980 में मृत्यु हो गयी थी और उसकी पेंशन का आदेश 1984 से दिया गया। उन्होंने कहा कि हर मामले में 30 से 40 लाख रुपये बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया जा रहा है। वेंकटरमणी ने कहा कि पंजाब में पेंशन के करीब 8,000 मामले लंबित हैं और इनमें से कई को क्रियान्वयन याचिका में तब्दील कर दिया गया है।