जांजगीर-चांपा । जांजगीर के खड़पड़ीपारा तालाब गहरीकरण में छह लाख रुपए का बंदरबांट का खेल हो गया। सीएसआर की राशि से 6 लाख रुपए अटलबिहारी बाजपेयी ताप विद्युत गृह मड़वा तेंदूभांठा से स्वीकृत हुई थी। बीते गर्मी के माह में इस मद से तालाब गहरीकरण का काम हो गया लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि तालाब में पानी ठहरता ही नहीं। ऐसे में लोगों को निस्तारी के लिए पानी नहीं मिलता। जिसे देखकर कहा जा सकता है कि छह लाख रुपए बिना पानी के तालाब में डूब गए। दरअसल, जांजगीर का खड़पड़ीपारा तालाब सौ साल पुराना है। पहले इस तालाब में भरपूर पानी रहता था। बताया जाता है कि लोग अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस तालाब से मुरूम खनन कर ले जाते हैं इसी तरह पिछले वर्ष भी अनेक लोग तालाब से मर्म खनन करके ले गए थे जिसे नगर पालिका जांगिड़ नीला द्वारा सर मत से खनन किए जाने का कार्य दिखाकर राशि संबंधित ठेकेदार से मिली भगत करके हरण कर लिया गया है यह तालाब खुदाई के नाम से बड़ा खेल पालिका के अधिकारी के मिली भगत से किया गया है जो जांच का विषय है। उधर आसपास के लोग तालाब के पार में मकान बनाकर तालाब को सीमित कर दिए हैं। लोगों द्वारा तालाब के के पार में घर बनाने के लिए मिट्टी पाठ दिया जाता है और समतल करके लोग निरंतर घर बनाने लगे हैं इसके चलते तालाब भी अपना अस्तित्व खोने लगा है। इस तालाब के गहरीकरण की मांग की जा रही थी। लोगों की मांग को देखते हुए कलेक्टर ने सीएसआर मद से तालाब के गहरीकरण कराने की सोच रखते हुए सीएसआर मद से गहरीकरण करने का निर्णय लिए थे किंतु नगर पालिका जांजगीर नैला द्वारा इसे कमाई का प्रमुख जरिया बना लिया गया और गहरीकरण के नाम से 6 लाख रुपए का चुना शासन को लगाया गया है। अटलबिहारी बाजपेयी ताप विद्युत गृह मड़वा तेंदूभांठा के कार्यपालक निदेशक ने इसके लिए छह लाख रुपए स्वीकृत कर दिए। इस तालाब का ठेकेदार के माध्यम से गहरीकरण किया गया। लेकिन तालाब गहरीकरण की औपचारिकता निभाई गई। ठेकेदार ने तालाब की ऐसी गहरीकरण कराई कि तालाब में निस्तारी के लायक पानी ही नहीं है। ऐसे में लोगों को अब भी निस्तारी के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं तालाब के चारों दिशाओं में लोगों के द्वारा लगातार अतिक्रमण की जा रही है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है। लोग तालाब के पार में अतिक्रमण कर लगातार मकान बना रहे हैं। इसके चलते खड़पड़ीपारा तालाब अपना अस्तित्व खोते जा रहा है।