जांजगीर चांपा। वर्तमान समय में मवेशियों की हालात अत्यंत दयनीय है जहां लोग गायों का पालन कम कर दिए हैं ऐसी स्थिति में इन मवेशियों के सामने चारा की समस्या उत्पन्न होने लगी है इसको देखते हुए जिले के पत्रकार सीताराम नायक ने किसानों एवं आम नागरिकों से खेतों में पलारी नहीं जलाने का अनुरोध किया है साथ ही साथ उन्होंने कहा है कि किसान धान की उपज लेने के बाद पैरा को खेतों में जलाने की बजाय किसी गौठान या गौशाला में इसे दान कर दें, जिससे पैरा (पलारी) का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही मवेशियों को समय पर चार मिल जाएगा। उन्होंने किसानों से अनुरोध कर कहा है कि गौ पालन को एक पुण्य कार्य माना जाता है जिसके कारण लोग पहले गौ माता का पालन करते रहे हैं किंतु वर्तमान में इस कार्य में कमी देखने को मिल रही है वहीं गाय एवं बैल की उपयोगिता भी मानव जीवन में कम होने लगा है जिसके कारण लोग गौ सेवा कम कर रहे हैं। नतीजा यह है कि मवेशियों के सामने चारा का संकट उत्पन्न होने लगा है। इसलिए इन प्राणियों की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को गौ सेवा के क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि खेतों में पलारी जला देने से यह किसी काम का नहीं होता है बल्कि खेतों की उपजाऊ काम हो जाती है और पलारी जल कर राख बनकर उड़ जाती है। अगर उक्त पलारी(पैरा )को किसी गौशाला या गौठानो में डाल दिया जाता है तो आने वाले समय में इन गाय,भैंसों के लिए चार सुनिश्चित हो जाएगा। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को पहल करने की जरूरत है। पत्रकार सीताराम नायक ने कहा है कि राज्य शासन को भी इसके लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है जिसे शासन की योजना में शामिल करते हुए प्रत्येक किसने की धान खरीदी करने के साथ-साथ उसकी पलारी का भी उपयोगिता के संदर्भ में ठोस रणनीति बनाये, ताकि किसानों को उनके उपज के साथ-साथ पलारी का भी हल मिल सके। प्रत्येक किसानों को चाहिए कि गौठान एवं गौशाला दान कर तथा अपने बाड़ी में एकत्र कर मवेशियों के उपयोग के लिए रखना चहिए। उन्होंने कहा कि पैरा को जला देने से पर्यावरण प्रदूषण तो होता ही है साथ ही साथ खेतों में एवं उसके दीवार में उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे पेड़ पौधे भी इसे जलकर नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण नए पेड़ पौधे नहीं उग पाते,जिसका असर पर्यावरण को संरक्षित करने पर पड़ता है जिसके लिए प्रत्येक नागरिकों को गौर करने की जरूरत है।