श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में बुधवार को सत्तासीन हुई उमर अब्दुल्ला की सरकार के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। उमर को चुनाव के दौरान जनता से किए वादों को तो पूरा करने के साथ ही जम्मू और कश्मीर में संतुलन साधने और विकास की रफ्तार बनाए रखने की चुनौती से पार पाना होगा। गठबंधन के सहयोगियों को साथ लेकर चलने के साथ ही विवादास्पद मुद्दों पर राजभवन और केंद्र से टकराव को छोड़ तालमेल बनाना होगा। शपथ ग्रहण समारोह में स्पष्ट हो गया कि उमर ने क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए जम्मू से निर्दलीय समेत तीन विधायकों को मत्रिमंडल में शामिल किया। इनमें दो हिंदू है।
केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में बड़ी शक्तियां अब भी उपराज्यपाल के पास हैं और उमर कभी नहीं चाहेंगे कि दिल्ली की तरह वह उपराज्यपाल से टकराव मोल लें। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर इसका असर जम्मू-कश्मीर में विकास की रफ्तार पर पड़ेगा। यही वजह है कि वह बार-बार केंद्र के साथ मिलकर प्रदेश में लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करने की बात कर रहे हैं।