अवैध कारोबार से रेत माफिया हो रहे मालामाल
जांजगीर चांपा। बलौदा ब्लाक के केराकछार रेत घाट में हर रोज 200 से अधिक ट्रिप रेत निकाली जा रही है। वहीं खनिज अफसरों को इससे कोई सरोकार नहीं है। सूत्रों की माने तो यहां हर रोज 10 लाख रुपए की रेत निकाली जा रही है। फिर भी खनिज अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है। मुखबिर जब शिकायत करते हैं तो अफसरों के ड्राइवर रेत माफियाओं को अलर्ट कर देते हैं। जिससे रेत माफिया भाग निकलते हैं। अफसर जब छापेमारी के लिए निकलते हैं तो उन्हें मौके पर कुछ नहीं मिलता। कुछ ऐसी ही सूचना पर केराकछार रेत घाट में खनिज अफसरों ने मौके पर दबिश दी तो उन्हें केवल दो से तीन ट्रैक्टर मिला।
सूत्रों की माने तो माफिया राज में रेत में सबसे अधिक आमदनी होती है। जिनके पास पहले जहां एक से दो ट्रैक्टर होते थे उनके पास अब चार से पांच ट्रैक्टर हो चुके। वहीं जिनके पास दो, सालपहले एक हाइवा था उनके पास अब तीन से चार हाइवा हो चुका है। सालाना उनका लाखों का टर्नओवर है। बम्हनीडीह के एक रेत माफिया के पास दर्जनों ट्रैक्टर व हाइवा केवल देखते देखते हो गया। बताया जा रहा है कि उनका हर रोज एक लाख रुपए आमदनी केवल रेत से होती है। क्या मजाल उसके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सके।खनिज अफसर रेत घाटों की ओर दबिश नहीं दे पाते। वे केवल सडक़ों में खड़े होकर अवैध रूप से रेत का परिवहन कर रहे लोगों पर कार्रवाई करते नजर आते हैं। क्योंकि उनकी नजर में कार्रवाई का यही बेहतर माध्यम माना जाता है। इसमें ट्रैक्टर चालक फंसते हैं। क्योंकि वे भी अपने इस कारोबारी से बाज नहीं आते हैं। खेती किसानी के पर्पज से ट्रैक्टर तो खरीद लिए होते हैं। लेकिन रेत के काला कारोबार में अपने ट्रैक्टर को लगा देते हैं। उन्हें पता होता है कि 30 दिन में एक दिन पकड़े जाएंगे। खनिज अफसरों को 7 से 8 हजार रुपए देकर छूट जाएंगे। बाकी 29 दिन उनका होता है। यदि एक दिन में 2 हजार रुपए भी कमा रहे हैं तो 29 दिन में 58 हजार रुपए आमदनी हो रही है।