नईदिल्ली, ०४ जुलाई [एजेंसी]। गाजियाबाद की महापौर के उन आरोपों का दिल्ली की महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय ने खंडन किया है, जिसमें दिल्ली का कूड़ा गाजियाबाद में डालने के आरोप लगाए जा रहे हैं। महापौर ने स्पष्ट किया कि जो वाहन गाजियाबाद में जाते हैं वह कूड़ा लेकर नहीं बल्कि रिफ्यूज्ड डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) लेकर जाते हैं।यह तय अनुबंध के मुताबिक गाजियाबाद के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के उपयोग के लिए लेकर जाते हैं। इसके लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ निगम का करार है। जो एनसीआर के साथ राजस्थान तक सीमेंट फैक्ट्री में ईंधन के उपयोग होने के लिए भेजा जाता है।दिल्ली नगर निगम की महापौर ने कहा कि इस प्रकार न तो एमसीडी द्वारा गाजियाबाद में कूड़ा डाला जा रहा है और न ही एमसीडी के वाहनों का वहां इस्तेमाल किया जा रहा है। गौरतलब है कि वेस्ट टू एनर्जी संयंत्रों में आरडीएफ सामग्री के उपयोग की अनुमति होती है।गाजियाबाद प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि की है जो वाहन आए हैं, वह कूड़ा नहीं बल्कि आरडीएफ लेकर आए हैं। वहीं, विशेषज्ञ वाहनों पर एमसीडी लिखने को भी गलत बता रहे हैं, क्योंकि वह वाहन निजी एंजेसी के माध्यम से उपयोग हो रहे हैं। इसलिए उन पर एमसीडी लिखा नहीं होना चाहिए।दिल्ली समेत देशभर में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसके लिए ट्रामल मशीनें इन कूड़े के पहाड़ों पर लगी हुई है। यह मशीन, मिट्टी, लोहा, पत्थर, प्लास्टिक और मलबे को अलग-अलग कर देती है। ऐसे में अब इन पहाड़ों को खत्म करने के लिए जरुरी है कि कूड़े के पहाड़ पर आई प्लास्टिक, लोहा, टायर, रबड़ और मलबे को इन्ही मशीनों के माध्यम से अलग-अलग किया जाता है।इस प्रक्रिया के तहत मलबे को अलग कर इसे सीएंडडी प्लांट में उपयोग किया जाता है। इससे टाइलें और पत्थरों की विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती है। जबकि प्लास्टिक, लोहा, टायर, रबड़ का उपयोग या तो रिसाइकिल करने के लिए किया जाता है। या फिर उसे ईधन के रूप में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में उपयोग किया जाता है।लोहे को बेच दिया जाता है, जबकि दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों से जो निष्क्रिय कूड़ा जिसे इनर्ट भी कहा जाता है उसे फ्लाईओवर से लेकर पार्कों में भराव के लिए उपयोग किया जाता है। —————– ——————