जांजगीर चंपा। आखिर लगातार हो रही गायों की मौत के जिम्मेदार कौन है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का यह हाल है तो अन्य का क्या हाल है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में तीन दिन में ही दो गोठानों में 50 से अधिक गायों की मौत हो गई। इसके बाद जिम्मेदार द्वारा आज दिनांक तक किसी पर कार्रवाई नहीं की गई है। आखिर लगातार गोठानों में हो रही गायों की मौत के जिम्मेदार कौन है। जिस पर कार्रवाई के बाद यह सिलसिला थम सके। अफसरों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण सरकार की महत्वाकांक्षी गोठान निर्माण योजना कागजों और फीता काटकर फोटो खिंचवाने तक सिमटकर रह गई। कांग्रेस की नई सरकार आते ही यह योजना इसलिए बनाई गई थी, किसानों को इसमें लाभ मिले और सड़क पर घुमने वाले मवेशियों को संरक्षण मिले। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है लाखों रुपए से बने गोठानों में जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही से मौत का गोठान साबित हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के अधिकांश गोठानों में पानी, चारा की व्यवस्था ही नहीं है। गायों को सीधे गोठान में लाकर बाहर से तालाब लगा दिया जा रहा है। इससे असमय मवेशियों की मौत हो जा रही है। कुछ ऐसा ही नजारा नगर पंचायत खरौद के गोठान में देखने को मिली। नगर पंचायत खरौद के गोठान में दो दिन पहले ही करीब 32 गायों की मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि चारा व पानी की व्यवस्था नहीं होने से गायों की मौत हो रही है। 32 गायों की मौत हुई है। राज छुपाने के लिए नपं द्वारा गोठान के पीछे और कई गायों को दफना भी दिया। इसके अलावा मैदान में बड़ी संख्या में गाय मृत अवस्था में पड़े। गोठान के पीछे बदबू आने से आसपास के लोगों ने जाकर देखा तो नजारा देखकर दंग रह गए। 32 गाय गृत अवस्था में पड़े हुए थे। इसी तरह पामगढ़ विकासखंड के आदर्श गोठान महका में भी करीब 20 गायों की मौत हुई है। यहां भी कुछ गाय गोठान में तो कुछ गोठान के पीछे मृत अवस्था में पड़े हुए। महका सचिव अखिलेश खूंटे का कहना है कि मवेशियों की मौत कब इसकी जानकारी नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, जिम्मेदार को जानकारी ही नहीं है और गाय की लगातार मौत हो रही है। साथ ही लगातार मौत के बाद भी किसी पर भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। आखिर गायों की असमय मौत के जिम्मेदार कौन है। जिला प्रशासन की भी गंभीर लापरवाही आई सामने ग्राउंड रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई इसमें सबसे बड़ी लापरवाही जिम्मेदार जिला प्रशासन की भी है। जिला प्रशासन के जिम्मेदार गोठानों में निरीक्षण करने कभी नहीं पहुंचते है। कभी-कभार निरीक्षण करने पहुंचे भी तो उसमें जिले के तीन से चार गोठान ही शामिल है। इसमें निरीक्षण का औपचारिकता पूरी कर लौट जाते हैं। गोठान में क्या कमी है, गाय रहेंगी तो क्या जरूरत पड़ेगी, इससे उसको कोई मतलब नहीं है। इससे पहले भी लगातार गोठानों में गायों की मौत होती रही है। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए गायों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अगर समय रहते जिला प्रशासन नहीं जागी तो जिले से गौवंश पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। खरौद गोठान में वर्तमान में आसपास क्षेत्र के 150 से अधिक मवेशियों को रखा गया है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मवेशियों के लिए न तो चारा है और न ही पानी की व्यवस्था है।