कोरबा। शावक की मौत के बाद लगभग एक सप्ताह से कुदमुरा रेंज के चचिया परिसर में मंडरा रहे 12 हाथियों के दल ने बीती रात आगे का रूख कर लिया और कुदमुरा सर्किल के जंगल में जाकर डेरा डाल दिया है। हाथियों के इस दल को आज सुबह यहां के जंगल में ग्रामीणों ने देखा और इसकी फौरन सूचना वन विभाग को दी। जिस पर वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचकर हाथियों की निगरानी में जुट गया है। उधर करतला रेंज के घोटमार में गुरुवार को अचानक धमके दंतैल ने एक बार फिर मूवमेंट किया है और कोरबा रेंज की सीमा में प्रवेश करते हुए गेरांव बताती के रास्ते दरगा केराकछार पहुंचा गया। दंतैल के यहां पहुंचते ही वन अमला सतर्क हो गया है। विभाग द्वारा दरगा केराकछार सहित आसपास के गांवों में मुनादी कराकर ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है। दो हाथी अभी भी लेमरू रेंज में घूम रहे हैं। इन हाथियों को आज सुबह कुटुरूवा जंगल में विचरण करते हुए देखा गया। हाथियों ने यहां कोई नुकसान नहीं किया है लेकिन देर-सबेर उत्पात मचाए जाने की संभावना को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। वन अमला हाथियों की लगातार निगरानी में जुटा हुआ है। उधर कटघोरा वनमंडल के पसान, केंदई व जटगा रेंज में बड़ी संख्या में हाथी विचरण कर रहे हैं। केंदई रेंज के परला में विचरणरत दंतैल ने आमाटिकरा गांव में पहुंचकर एक ग्रामीण के आंगन में रखे धान को चट कर दिया। बाद में ग्रामीणों द्वारा खदेड़े जाने पर हाथी जंगल का रूख किया और परला पहाड़ में जाकर विश्राम करने लगा। जटगा के मुकुवा मेरई पहाड़ में भी 7 हाथी पिछले एक पखवाड़े से डेरा डाले हुए हैं। इस दल में एक नवजात शावक होने के कारण हाथी आगे नहीं बढ़ रहे हैं। जबकि पसान रेंज के बनिया परिसर में 23 हाथियों को देखा गया। ये हाथी लगातार क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। हाथियों को जंगल में पर्याप्त चारा व पानी मिलने के कारण जंगल ही जंगल घूम रहे हैं और बस्ती की ओर नहीं पहुंच रहे हैं।