मनेन्द्रगढ़। जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से बिलासपुर मार्ग में 20 किमी दूर ग्राम छिपछिपी में पुरातात्विक विरासत बिखरी पड़ी है। यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की विहंगम प्रतिमा देखकर सहजता से पता चलता है कि यहां प्राचीन विरासत और संस्कृति छिपी है। इस गांव का इतिहास काफी पुराना है। यहां कई स्थानों पर मूर्तियां प्राचीन गुफाएं पहले छुपी हुई थी। इसलिए इस गांव का नाम छुप-छुपी ही था जो ग्रामीण जनों की बोलचाल की भाषा में परिवर्तित होते हुए छिपछिपी हो गया तथा जिस स्थान पर यह प्राचीन मूर्तियां प्राप्त हुई है उसे मूरत पारा के नाम से जानते हैं। इतिहासकार डॉ विनोद कुमार पांडे ने बताया की कुछ ग्रामीणों का मानना है कि युद्ध के समय धोरेल शाह राजा जो पूर्व कोरिया रियासत के राजा थे आसपास की रियासतों से युद्ध के कारण यहां छुपकर आराम करता था एवं वह युद्ध की तैयारी करता था। इस कारण इस जगह का नाम छिपछिपी पड़ा और यह मूर्तियां भी शायद उसी के द्वारा बनवाई गई हो। ग्राम छिपछिपी में प्राप्त मूर्तियां लगभग हजारों वर्ष पुरानी जान पड़ती हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ वर्षों पूर्व यहां मूर्तियों के साथ प्राचीन बर्तन भी मिले थे। अज्ञानता के कारण ग्रामीण जन प्राचीन बर्तनों तथा मूर्तियों को उठाकर ले गए। यहां एक सीढ़ी भी बनी हुई है जो सुरंगनुमा है तथा नीचे की ओर जाती है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि अगर इस स्थान की खुदाई की जाये तो बहुत सी पुरातत्विक मूर्तियां और वस्तुएं मिल सकती हैं। इतिहासकार डॉ विनोद पांडे बताते है की ग्रामीण जनों के मुताबिक 1960 में यहां सुखराम बाबा नामक संत आए थे और उन्होंने दुर्गम जंगल के अंदर एक दीमक की बांबी देखी और उसे खोद कर देखा तो उसके अंदर भगवान विष्णु के दशावतार वाली मूर्ति निकली। इसके साथ ही अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्ति निकली। इन सभी मूर्तियां को ग्रामीण जनों ने वृक्ष के नीचे रख दिया। खुले मे धूप पानी की वजह से यह मूर्तियां खराब हो रही है इसे सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा की मनेंद्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी नया जिला बना है। कलेक्टर जो की जिला पुरातत्व संघ के अध्यक्ष भी होते हैं वे स्वयं पुरातत्व व पर्यटन में काफी रूचि रखते हैं। उनसे चर्चा कर इन बिखरी पड़ी मूर्तियों को संरक्षित करने का शीघ्र प्रयास किया जायेगा।