नईदिल्ली, १३ जुलाई [एजेंसी]। जब भी हम पाकिस्तान में गुरुद्वारा साहिबों के बारे में बात करते हैं, तो हममें से ज्यादातर लोगों को ननकाना साहिब, पंजा साहिब या करतारपुर साहिब के बारे में ही पता हैं। लेकिन, ऐसे कई अन्य गुरुद्वारा साहिब भी हैं, जिनके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते और उनमें से एक है गुरुद्वारा रोरी साहिब । यह गुरुद्वारा साहिब झामन के बाहर लाहौर शहर से लगभग 25 किमी और पाकिस्तान-भारत सीमा से 2-3 किमी दूर पर स्थित है। यह गुरुद्वारा साहिब गुरु नानक देव जी से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि गुरु जी इस स्थान पर तीन बार आए थे, जो उनके पैतृक गांव डेरा चहल से ज्यादा दूर नहीं था। ऐसा माना जाता है कि गुरु जी ने झामन के बाहर एक टीले पर विश्राम किया था। एक प्राचीन खंडहर में उन्हें मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले, जिससे उस स्थान पर बने मंदिर का नाम बाद में गुरुद्वारा रोरी साहिब रखा गया। पंजाबी भाषा में रोरी का मतलब टुकड़े होता है।तीर्थ का निर्माण भाई वाधवा सिंह द्वारा शुरू किया गया और एक सुंदर दरबार में इसे तैयार किया गया। उस समय वहां एक छोटा सा पोखर हुआ करता था जिसे बाद में उनके एक अनुयायी ने एक तालाब में विस्तारित कर दिया। हर वैसाखी और जेठ माह की 20 तारीख को यहां मेले लगते थे।आज ये गुरुद्वारा जर्जर हो चुका है। वह फर्श जहां कभी गुरु ग्रंथ साहिब को रखा जाता था और पाठ किया जाता था,अब गड्ढे में तब्दील हो गया है। गुंबद को मरम्मत की जरूरत है। दिवारों पर इस्लामिक शब्द लिखे हुए है। तलाब भी सुख चुका है। अगर समय के भीतर इसकी मरम्मत नहीं की गई तो यह धूल का ढेर बन जाएगा। इस गुरुद्वारे की तस्वीर देख सिख समुदाय का दिल टूट सकता है, क्योंकि यहां अब असामाजिक तत्वों/नशीले पदार्थों/लुटेरों का कब्जा हो गया है।पिछले कुछ दिनों से लाहौर में हो रही भारी बारिश के कारण विभाजन के बाद से उपेक्षित पड़ा ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री रोरी साहिब ढह गया और अब दीवार का केवल एक ही हिस्सा बचा रह गया है। गुरुद्वारा रोरी साहिब, जो कभी अविभाजित पंजाब के सिख समुदाय का गौरव हुआ करता था, अब वहां की स्थिति बेहद खराब हालत में पड़ी हुई है। यहां कथित छिपे हुए खजाने की तलाश में खुदाई करने वाले लोगों ने इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि पाकिस्तान में खंडहर पड़े ऐसे कई गुरुद्वारों का मुद्दा कई बार उठाया गया।अगर ऐसे गुरुद्वारों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो ये जल्द ही ढह जाएंगे।पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और उनकी सरकार ऐतिहासिक स्थलों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है।इस क्षेत्र में अब कोई भी सिख संगत नहीं बची है, इसलिए इस गुरुद्वारे की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है।बता दें, पाकिस्तान में गुजरांवाला के एमिनाबाद में भी एक और गुरुद्वारा रोरी साहिब है।