जांजगीर-चांपा। जिला पंचायत चुनाव का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका है। चुनावी रैलियों और भाषणों का असर अब शहर से लेकर गांव तक महसूस किया जा रहा है। छोटे-बड़े नेताओं के बीच तकरार जारी है, लेकिन इस बार कुछ नए चेहरे हैं जिनको जनता से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। जो उनके नामांकन रैलियों के दौरान भी देखने को मिला है। तो कुछ नेता ऐसे भी है, जिनको जनता मुंह पर सुना दे रही है। जिससे उन्हें लज्जित होकर उल्टे पांव जाना पड़ रहा है।
कुछ इसी तरह जिला पंचायत चुनाव का माहौल पूरे सबाब पर है। हर प्रत्याशी अपनी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। कहीं मुर्गा दारू की पेशकश तो कहीं वादों की झड़ी लगाई जा रही है। जनता का समर्थन पाने हर हथकंडे आजमाए जा रहे हैं। ऐसे में बदनाम और जुमलेबाज नेताओं के बीच साफ सुथरी छवि वाले युवा जोश और क्षेत्र के विकास को लेकर नईं सोच रखने वाले प्रत्याशियों की चर्चा भी खूब हो रही है।
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 (सरखों) से नामांकित प्रत्याशी लोकेश राठौर का चेहरा क्षेत्र में नया नहीं है। वे महाकाली संगठन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और लंबे समय से जनहित कार्यों में सक्रिय हैं। उनका सरल और धार्मिक स्वभाव उन्हें क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बना चुका है। नामांकन रैली के दौरान लोकेश राठौर के समर्थन में हजारों की संख्या में लोग उमड़े थे, जो उनकी लोकप्रियता का जीवंत प्रमाण था। रैली के दौरान यह भी चर्चा में आया कि उनकी सादगी और समर्पण की वजह से विपक्षी प्रत्याशी भी चिंतित हैं। राजनीतिक गलियारों में इस भीड़ की चर्चा जोरों पर है। उनके समर्थन में आई जनता ने यह साबित कर दिया कि लोकेश राठौर केवल एक युवा नेता नहीं, बल्कि लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक बन चुके हैं।
वहीं, क्षेत्र क्रमांक 12 (चारपारा) से पूर्व सांसद कमला देवी पाटले की बहु और पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रदीप पाटले की पत्नी मंजूषा पाटले भी चुनावी मैदान में उतर चुकी है। मंजूषा पाटले को क्षेत्र में जबरदस्त समर्थन मिल रहा है, जो उनकी नामांकन रैली में साफ नजर आया। नामांकन रैली के दौरान हजारों की संख्या में लोग सडक़ों पर आ गए, जिससे जिला मुख्यालय की सडक़ों पर जाम लग गया।
मंजूषा पाटले एक शिक्षित और समाजसेवी महिला हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद पत्रकारिता (बीजेएमसी) में अपनी डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे एलएलबी की पढ़ाई कर रही हैं। उन्होंने अपने जीवन को सेवा में लगाने का संकल्प लिया है और हमेशा लोगों के सुख-दुख में साथ रही हैं। विशेष रूप से, उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए हिंदुत्व संस्कृति की रक्षा के लिए निरंतर कार्य किया है। मंजूषा पाटले के प्रति क्षेत्रवासियों का विश्वास और प्यार साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरी हैं और उनका चुनावी अभियान क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनकी निस्वार्थ सेवा भावना और शिक्षा के प्रति समर्पण ने उन्हें एक आदर्श प्रत्याशी बना दिया है।
चुनावी माहौल में उभरते हुए नाम
लोकेश राठौर और मंजूषा पाटले दोनों ही प्रत्याशी क्षेत्र में सघन दौरे कर रहे हैं और जनता से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। दोनों ही प्रत्याशियों का मानना है कि जनता की समस्याओं का समाधान ही उनकी प्राथमिकता है। इसके बावजूद, अन्य प्रत्याशी भी अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं, लेकिन जनता का समर्थन केवल चुनिंदा नेताओं को ही मिल रहा है। इन दोनों प्रत्याशियों की दावेदारी मजबूत नजर आ रही है क्योंकि वे युवा, मुखर और अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याओं को समझते हुए उनके समाधान के लिए काम कर सकते हैं। इस बार चुनावी महासमर में जहां कई नेता सिर्फ वादों की झड़ी लगा रहे हैं, वहीं लोकेश राठौर और मंजूषा पाटले जनता की सच्ची सेवा और क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं।