नईदिल्ली, १३ जुलाई [एजेंसी]। पूर्वी दिल्ली। राजधानी में यमुना उफान पर है। जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंच गया है। यमुना का जलस्तर बढऩे से जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए खादर क्षेत्र में तैयार किए गए असिता ईस्ट का ‘अस्तित्व’ ही खो गया है। असिता ईस्ट के विकास में अभी तक करीब 12 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। यहां विकसित किए गए हरित क्षेत्र, सेल्फी प्वाइंट, पैदल मार्ग, विदेशी प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल, प्रवासी व स्थानीय पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां, जलाशय सहित अन्य प्राकृतिक सुंदरता दर्शाने के सपने पर पानी फिर गया है।हालात ऐसे हैं कि जलस्तर कम होने के बाद भी जी-20 के लिए इसको संवार पाना काफी मुश्किल हो जाएगा। इस वर्ष सितंबर में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी का जिम्मा भारत को मिला है। इसके लिए दिल्ली में भी तैयारियां जोरों पर थीं। प्रकृति के निकट ले जाने के लिए खादर क्षेत्र में असिता ईस्ट तैयार किया गया था। असिता ईस्ट 197 हेक्टेयर में बनना था। आइटीओ के पुल से लोह वाले पुल के बीच में यह परियोजना चल रही थी। इसमें 90 हेक्टेयर का एक हिस्सा डीडीए का था, जिसका उद्घाटन दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले साल सितंबर में किया था। शेष 107 हेक्टेयर भाग उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का है, जिसका विकास डीडीए ही कर रहा है। उद्घाटन के समय इस परियोजना को पूर्ण रूप से विकसित करने में 20 करोड़ रुपये की लागत बताई गई थी।बांसेरा पार्क में भी हुआ जलभराव राजधानी के पहले बैंबू (बांस) थीम पार्क ‘बांसेरा’ के कुछ इलाके में भी जलभराव हो चुका है। यहां पर असम से लाए गए 25 हजार से अधिक विशेष किस्म के बांस के पौधे लगाए गए हैं। यह पार्क करीब दस हेक्टेयर क्षेत्र में तैयार किया गया है। यहां बांस के पेड़ों के नीचे बैठने के स्थान के साथ ही एक बैंबू केफे भी बना है। इसमें कियोस्क, हट, वाचटावर और कच्चे रास्ते के साथ-साथ ग्रीन वे भी तैयार किया गया है।असिता ईस्ट में पानी भर गया है। मेरी डीडीए के उद्यान विभाग के अधिकारियों से बात हुई है, उनके अनुसार पौधे सात दिन पानी में डूबे रहे तो खराब हो जाएंगे। अगर पानी इस अवधि से पहले उतर गया तो पौधे बच जाएंगे। यमुना का जलस्तर बढऩे पर बीते सालों में यहां कभी पानी नहीं भरा।