कोरबा। रेल्वे की शर्तों के अनुसार कोई भी यात्री अपनी यात्रा रद्द कर टिकट का पूरा पैसा वापस प्राप्त कर सकता है, लेकिन इसके लिए यह तय होना चाहिए कि उनकी ट्रेन 3 घंटा से अधिक विलंब से चल रही हो। इसमें भी अगर रेलवे द्वारा ट्रेन को री-शेड्यूल कर दिया जाता है (रवाना होने के निर्धारित समय को बढ़ाने पर) तो उक्त री-शेड्यूल की गई अवधि के बाद होने वाले और 3 घंटे विलंब के बाद ही कोई भी यात्री अपनी टिकट रद्द करा कर पूरा रिफंड प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि अधिक विलंब होने पर ट्रेनों को री-शेड्यूल कर दिया जाता है।यात्री ट्रेनों के 3 घंटा से अधिक विलंब होने पर अपनी यात्रा नहीं करना चाहते हैं, उन्हें री-शेड्यूल में फंसना पड़ रहा है, क्योंकि री-शेड्यूल के बाद विलंब की यह अवधि बढऩे का लाभ रेलवे को मिलता है, क्योंकि 3-4 घंटा देरी से चलना सामान्य बात हो गई है। इससे होने वाली परेशानी को यात्री स्वीकार भी कर लेते हैं। कभी-कभी तो यही गाडिय़ां 6 से 12 घंटा तक विलंब हो जाती हैं और यात्री अपनी यात्रा रद्द करने तैयार हो जाते हैं, लेकिन वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाते। रेलवे के री-शेड्यूल की अवधि में वे फंस जाते हैं। वे जानते हैं कि अगर अपनी यात्रा रद्द करते हैं तो उन्हें टिकट का पूरा पैसा रेलवे नहीं देगा। रेलवे भी री-शेड्यूल का ऐसा समय तय करता है, जिसमें यात्रा शुरू भी नहीं हो पाती है और यात्री विवश होकर अपनी ट्रेन का इंतजार करते रहते हैं। अधिकारी भी इस मामले में कोई जवाब देने से बचना चाहते हैं। वे जानते हैं कि री-शेड्यूल नहीं किया गया तो अधिकांश यात्री अपनी यात्रा शुरू होने से पहले ही स्थगित कर देंगे और रेलवे से अपना रिफंड मांगेंगे।