कोरिया। एसईसीएल झिलमिली सहक्षेत्र पांडवपारा द्वारा संचालित डीएवी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य कक्ष के छत का प्लास्टर प्राचार्य पर गिरने से बाल बाल बच गए और बड़ा हादसा टल गया हालांकि उनके हाथ में चोट लगी है लेकिन खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।लेकिन इस हादसे से एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया जो आनन फानन में मौके पर पहुंच वस्तु स्थिति का जायजा भी लिया। मिली जानकारी अनुसार डीएवी पब्लिक स्कूल का भवन बीते कई वर्षों से काफी जर्जर हालत में है। बीते शनिवार को शिक्षक व अभिभावक संघ की बैठक आयोजित थी। प्राचार्य पंकज भारती अपने कक्ष में एक दो अभिभावको के साथ चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान प्राचार्य कक्ष के छत का प्लास्टर उन्ही के ऊपर ही गिर गया उन्होंने भर भराकर प्लास्टर गिरता देख किसी प्रकार कक्ष से बाहर की ओर भागे जिससे प्राचार्य गंभीर हादसे के शिकार होने से बच गए लेकिन बचते बचाते हाथ में हल्की चोट लग ही गई। एहतियातन उन्हें तत्काल हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर होने की पुष्टि की है। डीएवी पब्लिक स्कूल का भवन काफी वर्षों से जर्जर हालत में है।जहां हजारों की संख्या में छात्र छात्राएं पढ़ते हैं।स्कूल के अभिभावक बताते हैं कि इस स्कूल भवन को ठेकेदार द्वारा काफी घटिया बनाया गया था जिसके चलते समयावधि के पूर्व ही भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। यहां पर हर समय हादसे का डर बना रहता है।यही कारण है कि शनिवार को छत का प्लास्टर गिर गया। गनीमत रही कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन इस हादसे के बाद से बच्चे सहित अभिभावक सहमे हुए हैं।शनिवार को स्कूल में शिक्षक अभिभावक की बैठक आयोजित होने के कारण इस नजारे को सभी ने देखा और अपने मोबाइल में फोटो वीडियो भी बना लिया।बच्चों के अभिभावक भी हादसे के बाद चिंतित हैं।उनका कहना है कि जर्जर हो चुके इस भवन में बच्चों को न पढ़ाया जाए।वहां पर अध्ययनरत बच्चे और शिक्षक हर समय कोई हादसा न हो जाए, इसे लेकर वे भी चिंतित रहते हैं।इसकी जानकारी एसईसीएल के अधिकारियों को भी है लेकिन किसी ने आज तक इस समस्या को दूर करने की सुध नहीं ली है हालांकि करोड़ों की लागत से इस भवन का मरम्मत कार्य होना है जिसका निविदा शनिवार को ही खुल गया है प्रबंधन द्वारा अतिशीघ्र कार्य प्रारंभ होने की बात कही जा रही है। एक वर्ष पूर्व किया था आगाह* डीएवी पब्लिक स्कूल के जर्जर भवन सहित टूटे फूटे खिड़की दरवाजे व चूता छत विषय को लेकर कई बार खबर प्रकाशन किया था जिस पर प्रबंधन ने मरम्मत हेतु प्रपोजल भेजने की बात कही थी हालांकि लगभग 5 माह पूर्व स्वीकृति भी मिल गई और टेंडर भी हो गया लेकिन कार्यादेश हादसे के दिन होने की पुष्टि विभागीय अधिकारी कर रहे हैं प्रबंधन इस मसले को गंभीरता से लेता तो गर्मी के छुट्टी में मरम्मत का कार्य हो जाता फिलहाल जर्जर भवन में स्कूल संचालित है। इस समय बारिश का मौसम है। ऐसे में शिक्षकों को चाहिए कि वह किसी भी जर्जर भवन के कक्ष में कक्षाओं का संचालन न करें। बावजूद इसके जर्जर भवनों में कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है।जो काफी जोखिम भरा है। इस समस्या के समाधान हेतु स्कूल व एसईसीएल प्रबंधन को अविलंब ध्यान देना चाहिए।