जांजगीर – चांपा । अक्षय तृतीया के दिन दो किशोर की बरात जाने वाली थी। ऐन वक्त पर सूचना मिलने पर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम नवागढ़ ब्लाक के ग्राम चौराभांठा और पामगढ़ ब्लाक के ग्राम तनौद पहुंची और दोनों किशोर का विवाह रोका गया।जिले में जागरूकता के अभाव में किशोर और किशोरी वर्ग की शादियां हो रही है।सूचना मिलने पर महिला बाल विकास विभाग की टीम गांव पहुंचती है और स्वजन को समझाइश देकर विवाह रोका जाता है।
शुक्रवार अक्षय तृतीया के दिन बाल विवाह संबंधी सूचना मिलने पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेन्द्र सिंह जायसवाल के नेतृत्व में ग्राम पंचायत चौरा भाठा बालक के घर टीम पहुंची। परिवार वाले बरात जाने की तैयारी में जुटे हुए थे। टीम ने दस्तावेजों की जांच की जिसमें बालक का उम्र 18 वर्ष तथा 8 माह होना पाया गया। जिस पर स्वजन को बालिग होने पर विवाह करने की समझाइश दी गई और विवाह रोका गया। अधिकारी कर्मचारी द्वारा बालक एवं उसके माता – पिता एवं स्थानीय लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया और लडक़े की उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् विवाह करने की समझाईश दी गई। जिसके पश्चात स्थानीय लोगों की उपस्थिति में बालक के माता – पिता की सहमति से दोनों बालकों का विवाह रोका गया है। टीम में जिला बाल संरक्षण इकाई से कुलदीप कुमार चौहान, निर्भय सिंह, प्रभा गढ़ेवाल, जोहित कश्यप, प्रीवंधा साहू शामिल थी।
बाल विवाह के दूसरे मामले में टीम ग्राम पंचायत तनौद पहुंची। बालक के घर पहुंचकर उम्र का पता लगाने के लिए स्वजन से दस्तावेजों की मां की गई। जिस पर स्वजन ने बालक के पढ़ाई नहीं करने और अनपढ़ होने का बहाना बनाया। जिसके बाद टीम को शंका हुई तो स्कूल से दाखिला खारिज निकलवाया गया जिसके आधार पर बालक का उम्र 19 वर्ष 4 माह 29 दिन ही हुआ था।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लडक़ी की उम्र 18 वर्ष तथा लडक़े की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह करने वाले माता-पिता, विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार, टेंट प्रभारी डीजे साउड, धुमाल प्रभारी, भोजन बनाने वाले रसोइया हलवाई, केटरिन प्रभारी, विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। अधिनियम के तहत दो वर्ष के कठोर सश्रम कारावास तथा एक लाख के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किये जाने का प्रविधान हैमगर इसके आद भी अभिभावकों में कानून का डर नहीं है और वे नाबालिग बेटी की विवाह तय होने पर उसकी शादी करने लगे हैं।