कोरबा। कहा जाता है कि कराटे का जन्म भारत के केरल राज्य में हुआ। चूंकि हम भारतीय मार-पीट में ज्यादा विश्वास नहीं करते, इसलिए कराटे पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। कराटे वास्तव में काफी खतरनाक खेल है। थोड़ी सी असावधानी से हाथ, पैर, गर्दन, नाक तक टूट सकती है। भारत में इसका सही ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ तो धीरे-धीरे लोग कराटे को भूलते गए। यूं तो खेल-कूद और व्यायाम हम सबके लिए जरूरी है, लेकिन जिस तरह से आज के हालात में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ा है, उसे देखते हुए मार्शल आर्ट व ताइक्वांडो महिलाओं के लिए बहुत जरूरी हो गया है. मार्शल आर्ट शरीर को चुस्त दुरुस्त रखता है और महिलाओं में एक आत्म विश्वास और ताकत भी देता है जिससे वो विकट परिस्थिति में अपने को महफूज रख सकें , जागरूकता अभियान चलाकर समाज के हर व्यक्ति को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट से जोड़ा जाना चाहिए ।19 वीं छ.ग. राज्य बालक ताइक्वांडो चैंपियनशिप का आयोजन 28 जून को रायगढ़ अग्रोहा भवन में आयोजित किया गया । जहाँ राज्य भर के सैकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका से ताइक्वांडो प्रशिक्षक श्री लीलाराम यादव के दिशा निर्देशन में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों रायगढ़ में आयोजित ताइक्वांडो प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पदक पर कब्जा किया।विद्यार्थियों ने अपने प्रतिद्वंदियों को धूल चटाई। विभिन्न वर्गों में आयोजित इस प्रतियोगिता में आईपीएस दीपका के छात्रों ने अपना लोहा मनवाते हुए पदक हासिल किए ।कक्षा 8वीं के आदर्श साहू,रोशन कुमार तथा सारांश बनवाला ने पदक जीता । साथ ही प्रशिक्षकों की श्रेणी में लीलाधर यादव कीे प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। विद्यालय परिवार बच्चों के इस उपलब्धि पर हर्षित है । विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने छात्रों एवं एवं विद्यालय के खेल एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षक श्लीलाराम यादव को बधाई दी ।विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता जी ने कहा कि मार्शल आर्ट शरीर को चुस्त दुरुस्त रखता है और महिलाओं में एक आत्म विश्वास और ताकत भी देता है जिससे वो विकट परिस्थिति में अपने को महफूज रख सकें , जागरूकता अभियान चलाकर समाज के हर व्यक्ति को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट से जोड़ा जाना चाहिए ।आज दिन ब दिन बदलती परिस्थिति को देखते हुए हमें विद्यार्थियों को इस कला में पारंगत करना चाहिए।हमें यह अवश्य ध्यान रखना होगा कि मार्शल ऑर्ट या ताइक्वांडो की कला का उद्देश्य केवल आत्मरक्षा होना चाहिए न कि दूसरों को नुकसान पहुँचाना।