जयपुर, 0७ अप्रैल । राजधानी जयपुर में फर्जी एनओसी के आधार पर अंग प्रत्यारोपण के मामले में रोजाना नई जानकारियां सामने आ रही हैं। राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी सामने आया है। एसीबी का मानना है कि अंग प्रत्यारोण की फर्जी एनओसी जारी करके उसके आधार पर निजी अस्पतालों में प्रत्यारोपण किया जाता था। इसके लिए बांग्लादेश, नेपाल और कंबोडिया सहित अन्य देशों से गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर यहां लाया जाता था और फिर फर्जी एनओसी के आधार पर अंग प्रत्यारोपण करवाया जाता था, जिनका अंग प्रत्यारोपण होता था उनसे पैसा वसूला जाता था। हालांकि इस बारे में एसीबी के अधिकारी फिलहाल अधिकारिक रूप से बोलने को तैयार नहीं है।यह भी सामने आया है कि अंग प्रत्यारोपण को लेकर फर्जी एनओसी देने वाले प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह ने तीन साल में करीब आठ सौ एनओसी जारी की है। कई दिन तक निगरानी रखने के बाद एसीबी ने गौरव को गिरफ्तार किया है। गौरव के कार्यालय में 75 एनओसी तैयार मिली। इनमें से अधिकांश एनओसी विदेशी नागरिकों की मिली है। यह एनओसी जयपुर के आधा दर्जन निजी अस्पतालों को दी जानी थी।एसीबी की जांच में सामने आया कि गौरव 35 से 40 हजार रुपये लेकर फर्जी एनओसी देता था। एसएमएस अस्पताल में बनी राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक लंबे समय से नहीं हुई। बिना बैठक के ही गौरव निजी अस्पताल के कर्मचारियों से पैसे लेकर फर्जी तरीके से एनओसी जारी कर रहा था। फर्जी एनओसी लेने के मामले में गिरफ्तार किए गए जयपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल के समन्वयक विनोद सिंह और ईएचसीसी अस्पताल के अनिल जोशी से हुई पूछताछ में सामने आया कि गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े हुए हैं।चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने फोर्टिस और ईएचसीसी का लाइसेंस अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत रद कर दिया है। अब इनमें अंग प्रत्यारोपण नहीं हो सकेगा।एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि एसएमएस प्रशासन ने शिकायत दी थी कि अस्पताल में से कोई अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी जारी कर रहा है। महानिरीक्षक डॉ.रवि का कहना है कि गौरव के कार्यालय में तैयार स्थिति में मिली 75 एनओसी में से 40 फीसदी अंगदान करने वाले और रिसीवर विदेशी हैं।फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद एसएमएस मेडिकल कालेज ने तय किया है कि अब अंग प्रत्यारोपण का काम ऑनलाइन होगा। प्राचार्य डॉ.राजीव बगरहट्टा ने बताया कि अब जिस अस्पताल में प्रत्यारोपित होना है, वहां का प्रशासन मरीज और अंग दान करने वाले दोनों के आवेदन ऑनलाइन ही भेजेगा। अंग प्रत्यारोपित करने की मंजूरी देने के लिए बगरहट्टा की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है।