मुंबई, २९ दिसम्बर ।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अजित पवार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने 11 प्रत्याशी उतारकर संकेत दे दिए हैं कि वह अपनी पार्टी को एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा दिलवाने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं। महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने 25 साल पहले 1999 में कांग्रेस से बगावत करके राकांपा का गठन किया था। तब उनके साथ मेघालय के कांग्रेस नेता पी.ए.संगमा एवं बिहार के कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके अलावा अपने व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए शरद पवार ने केरल सहित कुछ और राज्यों में भी राकांपा का विस्तार किया और उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलवाने में सफल रहे। लेकिन धीरे-धीरे उनकी पार्टी कमजोर होती गई। पी.ए.संगमा का देहांत हो गया और तारिक अनवर पुन: कांग्रेस में चले गए। महाराष्ट्र के अलावा पूर्वोत्तर के राज्य नगालैंड तक ही राकांपा का विस्तार सीमित हो गया। जिसके फलस्वरूप पिछले वर्ष अप्रैल 2023 में राकांपा का राष्ट्रीय दल का दर्जा समाप्त हो गया।
पिछले वर्ष 25 जून को अविभाजित राकांपा के रजत जयंती समारोह में बोलते हुए अजित पवार ने पार्टी की इस क्षति का विशेषतौर पर उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि हम राष्ट्रीय पार्टी से क्षेत्रीय पार्टी हो गए हैं। हमें इस पर विचार करना चाहिए। लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही दो जुलाई, 2023 को वह स्वयं राकांपा को तोडक़र शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में राकांपा के दो तिहाई से ज्यादा विधायक भी उनके साथ आ गए और चुनाव आयोग ने उनके गुट को ही असली राकांपा की मान्यता एवं चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ पर अधिकार दे दिया। असली पार्टी की मान्यता मिलने के बावजूद उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी। उनका सिर्फ एक उम्मीदवार जीत सका। जबकि उनके चाचा शरद पवार की पार्टी राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने 10 उम्मीदवार लड़वाकर आठ सीटें जीतीं। लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में स्थिति बदल गई। इस बार चाचा की पार्टी सिर्फ 10 सीटें जीत सकी है, और अजित पवार की राकांपा ने 41 सीटें जीती हैं।
यह सफलता मिलने के बाद ही अजीत पवार ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिलवाने की प्रतिबद्धता जता दी थी। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए किसी दल को कम से कम चार या उससे अधिक राज्यों में चुनाव लडऩा होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट भी हासिल करने होते हैं। इन चार राज्यों में उसे क्षेत्रीय दल का दर्जा पाना होता है, अथवा उसके चार सांसद भी चुनकर आने चाहिए। वर्तमान में राकांपा महाराष्ट्र के अलावा नगालैंड एवं केरल में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल है। महाराष्ट्र, नगालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधानसभाओं में न सिर्फ उसके सदस्य हैं, बल्कि वह वहां की सत्तारूढ़ सरकारों में भी शामिल है।अब अजीत पवार दिल्ली में अपनी पार्टी को चुनाव लड़वाकर वहां न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं, बल्कि इतने वोट भी पाना चाहते हैं कि पार्टी क्षेत्रीय दल की दौड़ में तो शामिल हो ही जाए। ताकि महाराष्ट्र, नगालैंड, केरल के साथ दिल्ली को भी मिलाकर वह पुन: राष्ट्रीय दल का दर्जा दिलवा सकें।