नईदिल्ली, १५ जुलाई [एजेंसी]। दिल्ली के जिन इलाकों में बाढ़ का पानी भरा है, वहां तो परेशानी हो ही रही है। शनिवार को अन्य इलाकों में भी तेज वर्षा से जलभराव की स्थिति बन सकती है। इससे तापमान में भी आंशिक गिरावट के आसार हैं। मौसम विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है। उधर शुक्रवार को भी दिन भर सूरज और बादलों के बीच लुकाछिपी चलती रही। कई स्थानों पर हल्की वर्षा भी हुई। दिल्ली में दोपहर के बाद कई स्थानों पर हल्की बारिश हुई।पालम में सबसे ज्यादा 9.8 मिमी बरसात दर्ज की गई। इसके अलावा, सफदरजंग, लोधी रोड, रिज, आयानगर, पीतमपुरा, पूसा और जाफरपुर में भी बूंदाबांदी या हल्की बरसात दर्ज हुई। दिल्ली का अधिकतम तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान 26.8 डिग्री सेल्सियस रहा। दोनों ही सामान्य से एक-एक डिग्री कम है। हवा में नमी का स्तर 92 से 67 प्रतिशत दर्ज किया गया। इससे दिल्ली वासियों ने उमस का भी एहसास हुआ। मौसम विभाग का अनुमान है कि शनिवार को दिल्ली में सामान्यतया बादल छाए रहेंगे। अलग-अलग हिस्सों में मध्यम स्तर की बरसात हो सकती है। अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान 33 और 27 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।मौसमी गतिविधियों के चलते दिल्ली की हवा लगातार साफ बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 73 रहा। इस स्तर की हवा को संतोषजनक श्रेणी में रखा जाता है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो-तीन दिन वायु गुणवत्ता का ऐसा ही स्तर बना रहेगा।इसे जलवायु परिवर्तन का असर कहें या फिर एक साथ मौसम प्रणालियों का सम्मिश्रण। दिल्ली में 24 घंटे की बरसात 41 साल का रिकार्ड तोड़ चुकी है जबकि सात- आठ दिनों की वर्षा ने ही जुलाई में माह भर की बरसात का कोटा पूरा कर दिया है। बावजूद इसके उत्तर पूर्वी जिला अभी भी ”सूखे” की मार झेल रहा है। हैरत की बात यह है कि ऐसी स्थिति भी जुलाई में ही नहीं बल्कि एक जून से 14 जुलाई तक यानी अभी तक के पूरे मानसून सीजन में देखने को मिल रही है।मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में एक जून से अभी तक सामान्य से 252.5 मिमी ज्यादा वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है। राष्ट्रीय राजधानी के सभी मौसम केंद्रों में वर्षा की अधिकता का आंकड़ा 114.6 से 261.1 मिमी तक है वहीं आठ जिलों में 108.1 से 525.4 मिमी तक है। जबकि दूसरी तरफ उत्तर पूर्वी जिले की वर्षा अभी भी सामान्य से 29 प्रतिशत कम चल रही है।जलवायु परिवर्तन के चलते अब दिल्ली ही नहीं, देश के सभी हिस्सों में पैची रैन यानी अलग अलग जगह अलग हिसाब से वर्षा होने लगी है। कहीं कम होती है तो कहीं ज्यादा। कहीं तेज होती है तो कहीं हल्की या मध्यम। इसीलिए दिल्ली के विभिन्न जिलों और मौसम केंद्रों में वर्षा के आंकड़ों में अंतर देखने को मिलता है।