वाशिंगटन , १४ जुलाई [एजेंसी]। पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतु हों या फिर मनुष्य पानी सभी के लिए बहुत जरूरी है, इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। हाल ही में आई एक शोध से पता चला है कि जमीन के नीचे से लगातार निकाले जा रहे पानी के कारण पृथ्वी की घूर्णन धुरी में बदलाव देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1993 से लेकर साल 2010 के बीच पृथ्वी के नीचे से करीब 2,150 गीगाटन भूजल निकाला गया है, जिसके कारण पृथ्वी दक्षिण से पूर्व की ओर खिसक रही है।अमेरिका जर्नल जियोफिजिकल यूनियन के जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे एक शोध के मुताबिक, पृथ्वी की गति में भी बदलाव देखा गया है, जो साल 1981 से 1995 की तुलना में साल 1995 से 2020 के बीच 17 गुना ज्यादा तेजी दर्ज की गई है। शोध के मुताबिक, 1990 के दशक से लगातार वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, जिसके कारण ग्लेशियरों के पिघलने से पृथ्वी का अक्षीय घूर्णन सामान्य से अधिक गति कर रहा है।शोध के मुताबिक, पृथ्वी की घूर्णन धुरी में बदलाव इनता महत्वपूर्ण नहीं है कि इससे मनुष्यों के जीवन पर परिणाम पड़े। हालांकि, अध्ययन से पता चलता है कि मनुष्यों ने पृथ्वी के नीचे से इतना पनी निकाल कर इसका दोहन किया है कि इससे ग्रह की धुरी पर प्रभाव पड़ा है। सिंचाई और दुनिया की मीठे पानी की मांग को पूरा करने के लिए जमीन से खींचा गया पानी अंत में महासागरों में चला जाता है, जिससे वैश्विक समुद्र स्तर में होती बढ़ोतरी होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1993 और 2010 के बीच वैश्विक समुद्र की स्तर में 6.24 मिलीमीटर यानी 0.24 इंच तक की बढ़ोतरी हुई है।मालूम हो कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करने के साथ-साथ सूर्य के चारो तरफ घूमती है, इसे ही पृथ्वी की घूर्णन धुरी कहते हैं। पृथ्वी का अक्षीय झुकाव करीब 23.5 डिग्री है। पृथ्वी पर उत्तर और दक्षिण दोनों ध्रुवों की स्थिति स्थिर नहीं रहती है। ये लगातार बदलती ही रहती है। पृथ्वी की ध्रुवीय गति के लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार है, जिसमें समुद्री धाराएं और तूफान शामिल है। हालांकि, यह घटना मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होती है।मालूम हो कि जल विशेषज्ञों ने समय-समय पर पृथ्वी के नीचे से निकाले जा रहे पानी पर चेतावनी जारी करते रहे हैं। जमीन के नीचे से लगातार निकाले जा रहे पानी से जमीन अपने स्थान से खिसक सकती है, जिससे घरों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है।साल 2016 में एक खोज हुई थी, जिसमें पता चला था कि पृथ्वी के घूर्णन धुरी में पानी की भी बड़ा योगदान है। इस जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि साल 1995 में ध्रुवीय बहाव की दिशा दक्षिण से पूर्व की ओर चली गई। इस दौरान देखा गया कि 1981-1995 की तुलना में साल 995-2020 तक औसत बहाव गति में 17 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस शोध में कहा गया है कि पिछले 50 सालों में मनुष्यों के द्वारा पृथ्वी के नीचे से 18 ट्रिलियन टन पानी निकाला गया है। ——————