कोरबा। मैदानी अमले की लापरवाही कहे या रखरखाव का अभाव । जिले के कटघोरा वन मंडल के पसान रेंज में कैंम्पा मद से लगाए अधिकांश पौधे या तो कर गए या गायब हो गए केवल 20 फीसदी पौॅधे ही जीवित बचे है। अब वर्तमान में नियोजित अमला भ्रष्ट्राचार की कहानी गढक़र इसे पूर्व रेंजर पर दोषा रोपण करने में लगा है।
इस संबंध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में कैंम्पा मद से कटघोरा वन मंडल अंतर्गत पसान रेंज के ग्राम पंचायत पिपरियां में सिंचित रोपणी के तहत 265 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दो पार्ट में 150 और 115 हेक्टेयर में पौधे तत्कालीन प्रभारी रेंजर धमेन्द्र चौहान की देखरेख में बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए थे। तथा पौधो में पानी सिंचाई के लिए 21 नग बोर भी खनन कराए गए थे। पौधो की रोपणी के बाद प्रस्ताव के शर्तो के तहत खोदे गए बोर में मोटर पंप स्थापित कर उसे जनरेटर के जरिए चलाया गया और पौधो को पानी सिंचित कर हरा भरा रखा गया। इस बीच प्रभारी रेंजर श्री चौहान का तबादला हो गया और उनके स्थान पर राम निवास दहायत की पदस्थापना रेंज में हो गई श्री दहायत के पद भार लेते ही मैदानी अमला निष्कृय हो गया और इन पौधों की देखरेख करने लापरवाही बरतने लगा । पौधो की देखभाल ढंग से नही होने की वजह से वह मरने लगा और एक एककर काफी संख्या में पौधे नष्ट हो गए, केवल 20 प्रतिशत पौधे ही सुरक्षित बचे और अब अमला अपना दामन बचाने के लिए पूर्व रेंजर को इसके लिए दोषी बताकर भ्रष्टाचार की कहानी गढऩे और इसका ठिंकरा पूर्व अधिकारी के सिर पर फोडऩे में लगा हुआ है। बताया तो यह भी जाता है कि अभी 27-28 हजार पौधों का रोपण अगस्त-सितंबर 2023 में गिया गया लेकिन देखभाल के अभाव में वह भी ज्यादा संख्या में जीवित नहीं बचे। इतना ही नहीं वर्ष 2022 में कराए गए बोर में से 8 बोर की मोटर की चोरी हो गई। 13 नग मोटर सुरक्षित बचे हैं। अपनी लापरवाही को दबाने अब अमला जमीन मीसिंग व अन्य कहानी गढक़र भ्रष्टाचार से जोडऩे में लगा हुआ है।
सभी पौधे थे जीवित : चौहान
इस संबंध में तत्कालीन रेंजर धर्मेंद्र चौहान से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले जब वे पसान रेंज में पदस्थ थे तब सारे पौधे जीवित थे और खुदवाए गए सभी बोर चालू हालत में थे। इससे पौधों की सिंचाई भी हो रही थी। श्री चौहान के मुताबिक पौधों की रोपणी के लिए जमीन भी मीसिंग नहीं है। जियो टेगिंग के जरिए सत्यापन तथा एसडीओ द्वारा सत्यापन किए जाने बाद सारा काम सेंशन हुआ और कार्य कराकर भुगतान भी की गई। इस दौरान कई बार जियो टेङ्क्षगग का इस्तेमाल हुआ है। प्रस्ताव में उल्लेख के तहत जनरेटर के जरिए बोर से पानी की सिंचाई पौधों में होती रही। चूंकि जनरेटर को बार-बार लाने ले जाने में दिक्कतें हो रही थी सो इसे देखते हुए उन्होंने बिजली विभाग के एई से मिलकर रोपणी स्थल पर बिजली आपूर्ति के लिए ट्रांसफार्मर लगाने का प्रस्ताव बनाया था। इससे पहले प्रस्ताव पर अमला होता उनका तबादला हो गया। इसके बाद नए रेंजर ने प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।