कोरबा। फ्लोरा मैक्स कंपनी द्वारा किए गए धोखाधड़ी के मामले में डायरेक्टरों व टॉप-10 लीडर जेल में है। पुलिस व प्रशासन अब उनके चल-अचल संपत्ति की पड़ताल करते हुए चिन्हित कर रही है। पुलिस की विवेचना भी मामले में जारी है।
पुलिस द्वारा मामले में जांच के दौरान डाटा के आधार पर 30 हजार से अधिक महिलाओं से धोखाधड़ी होने का पता चला है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सब्जबाग दिखाकर उनसे बैंक-माइक्रो फाइनेंस से लोन निकलवाकर रुपए जमा लिया गया। महिलाओं को कोरबा के अलावा कटघोरा, चांपा, सक्ती, छाल, धरमजयगढ़ व खरसिया स्थित 48 बैंक-माइक्रो फाइनेंस कंपनी के शाखाओं से लोन जारी किया गया। प्रत्येक महिला को 30-30 हजार का लोन दिया गया। लेकिन ज्यादातर संस्थानों ने ऐसे आंख मूंदकर लोन बांटा कि अनेक महिलाओं को एक नहीं बल्कि 8-10 संस्थान से लोन पास हो गया। निवेशकों से लिए गए बयान में यह बात सामने आ रही है कि ऐसे में घर बैठे ज्यादा कमाई के चक्कर में अनेक महिलाओं ने कंपनी में मोटी रकम निवेश की थी। शुरूआत में धोखाधड़ी का शिकार हुई महिलाओं से 30 हजार रुपए के ठगी के हिसाब से 1 सौ करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आंकलन किया गया। हालांकि जो नई जानकारी सामने आ रही है उसके हिसाब से रकम कई गुना अधिक हो रही है। इसके लिए पुलिस ने सभी बैंकिंग संस्थान से 3 साल के दौरान दिए गए लोन, प्राप्तकर्ता का नाम-पता का ब्यौरा मांगा है। यहां तक कि कंपनी के लोन देने व लोन की राशि जमा लेने के संबंध में नियमावली की जानकारी भी मांगी गई है। ब्यौरा खंगालने के बाद ही पुलिस की ओर से स्पष्ट होगा कि धोखाधड़ी कितनी रकम की हुई है।