लखनऊ, १७ जनवरी । स्वामी गोविन्द देव गिरी ने कहा कि राम मंदिर बनने का अर्थ यह है कि देश का रामत्व जाग गया है। सज्जनता के पीछे शक्ति का जागरण होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश ने उस शक्ति का जागरण देखा है। श्रीराम ने अयोध्या और स्वजनों को त्यागा, केश और वस्त्र त्याग दिए। स्वामी गोविन्द देव गिरी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम ‘दो धागे-श्रीराम के लिए’ में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां आने पर भगवती जानकी को भी त्यागा। नहीं त्यागा तो अपना धनुष। धनुष प्रतिकार का प्रतीक है। अंत: करण में शक्ति हो लेकिन बाहु में शक्ति हो। यदि देश में धर्म की रक्षा करनी है तो बुलडोजर संस्कृति को लाना आवश्यक है। वहीं, श्रीराम जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरी और मार्गदर्शक सुरेश जोशी ‘भैयाजी’ ने मुख्यमंत्री को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र भेंट किया। इस अवसर पर सभागार में उपस्थित लोगों ने जय श्रीराम का उद्घोष किया। कार्यक्रम में हेरिटेज हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालिका अनघा घैसास ने बताया कि पुणे में पिछले वर्ष 10 दिसंबर से लेकर 22 दिसंबर तक आयोजित बुनकारी महोत्सव में 12,36,700 श्रद्धालुओं और बुनकरों ने हथकरघों पर रेशम के दो-दो धागों को बुनकर अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के इन वस्त्रों को तैयार किया है। अनघा ने बताया कि अयोध्या पर वृत्त चित्र बनाते हुए उन्हें यह प्रेरणा मिली। इन वस्त्रों को तैयार करने में शतायु वृद्ध भी सहभागी बने तो 15 दिन की अवस्था के नवजात की मां ने भी उसकी अंगुलियां ताने-बाने पर रखीं।