नए नागलोक में हमले बढऩे के साथ पीडि़तों को मिल रही संजीवनी

कोरबा। कोरबा जिला प्रदेश का दूसरा नाग लोक बनता जा रहा है। आए दिन कहीं ना कहीं सांप निकलने या फिर सांप के काटने की खबर सामने आते रहती है। लगभग 100 सर्पों की प्रजातियां जिले में उपलब्ध है। आए दिन इनकी उपस्थिति और हमलों के कारण लोगों के प्राण संकट में फंस रहे हैं।
जिले के शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल सर्प परेशानी का कारण बन रहे हैं बल्कि अजगरों के यहां-वहां जीव-जंतुओं के प्राण हरने से लेकर जन सामान्य की मुश्किलों में इजाफा करने के मामलों ने चुनौतियां खड़ी कर दी है। संबंधित क्षेत्र में काम करने वाला वर्ग मानता है कि मौसम परिवर्तन के साथ-साथ और भी ऐसे कारण हैं जो इस प्रकार के जीवों को बाहर आने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि कोरबा जिला ङ्क्षकग कोबरा के रहवास के मामले में अनुकूल है। बताती क्षेत्र में उसका ठिकाना है। वन्य जीवन अनुसंधान केंद्र देहरादून ने यहां का न केवल निरीक्षण किया है बल्कि कई तथ्यों को स्पष्ट किया है। कहा गया कि किंग कोबरा को संरक्षित करने के लिए यहां विशेष कोशिश होगी। इन सबसे परे वर्ष के 12 महीने जिले के विभिन्न क्षेत्रों में सर्पों के निकलने और लोगों को निशाना बनाने के मामले कायम हैं। इनमें जहां रेस्क्यू टीम अपना काम कर रही है वहीं स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम समय पर अपने यहां पहुंचने वाले पीडि़तों को संजीवनी देने में लगा है।
सतर्कता बरतना सबसे आवश्यक
जिले में सर्पों के रेस्क्यू के काम से जुड़े जितेंद्र सारथी ने बताया कि इस प्रजाती के नाग को इंडियन स्पेक्टिकल कोबरा भारतीय नाग कहते है। यह सांप बेहद ही जहरीला होता है। इसके डसने के बाद जल्द से जल्द एंटी वेनम का दोज ही लोगों की जान बचा सकता है। इसलिए जब भी सर्पदंस की घटना हो तो तत्काल निजी शासकीय अस्पताल पहुंचकर उपचार कराए।

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