भिलाई।, 09 जुलाई [एजेंसी]। दुर्ग जिले में स्थित सीएएफ के सातवीं वाहिनी के डाग ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित श्वान नक्सल मोर्चे पर अहम भूमिका निभा रहे हैं। जवानों के साथ वे भी मुस्तैद रहकर नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं। वर्ष 2002 में यहां पर डाग ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 2005 से श्वानों को विभिन्न जिलों में तैनात किया गया। तैनाती के बाद से अब तक इन श्वानों ने कुल 565 विस्फोटकों को खोजा है। जिसे निष्क्रिय करने के बाद बड़ी नक्सली घटनाओं को रोका जा सका है। इसके साथ ही ट्रैकर श्वानों ने हत्या के 267 और चोरी के 162 मामलों को सुलझाने में बड़ी अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल 80 श्वानों को तैनात किया गया है। जो विभिन्न मोर्चों पर तैनात होकर काफी अच्छा काम कर रहे हैं। जिस समय सीएएफ के सातवीं वाहिनी में डाग ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी। उस समय जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर नस्ल के श्वानों की हैदराबाद से खरीदी की जाती थी। श्वानों को खरीदकर उन्हें प्रशिक्षित कर प्रदेश के विभिन्न जिलों में उन्हें तैनात करने की प्रक्रिया कई सालों तक चली। इसके बाद पुलिस मुख्यालय की स्वीकृति के बाद वर्ष 2021 में पहली बार यहां पर श्वानों की ब्रीडिंग कराई गई और उनसे जन्मों पिल्लों को प्रशिक्षित किया गया। अब तक यहां से कुल 194 श्वानों को प्रशिक्षण दिया गया है। जिसमें वर्तमान में 80 श्वान तैनात हैं। इनमें 52 श्वान प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ हैं। वहीं 26 ट्रैकर श्वानों को मैदानी जिलों में तैनात किया गया है। दो श्वानों को एनडीपीएस की ट्रेनिंग दी गई थी। जो प्रदेश के महासमुंद और कोंडागांव जिले में पदस्थ हैं।