कोरबा। कोरबा जिले में नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया कि सरकार के कामकाज पर जनता ने मुहर लगाई। चुनाव के दौरान सरकार के कामकाज की लहर का असर रहा लेकिन पंचायत चुनाव में कहीं भी किसी प्रकार की लहर नजर नहीं आ रही है। हालांकि प्रत्याशियों को राजनीतिक दलों का समर्थन मिला हुआ है और उन्होंने प्रचार इसी पर आधारित होकर किया।
आज प्रथम चरण के अंतर्गत कोरबा और करतला जनपद क्षेत्र में लोगों ने वोट डाले। तीन बजे तक यह प्रक्रिया पूरी होगी। विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संवाददाताओं से मिली सूचनाओं में बताया गया कि सरकार की योजनाएं शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी चल रही है और लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। इन सबके बावजूद अशिक्षा और जागरूकता की कमी जिन क्षेत्रों में हावी है वहां लोगों के मन में कुछ अलग चल रहा है। जबकि साक्षरता का स्तर जहां औसत के आसपास या ज्यादा है वहां इस तरह की स्थिति है कि अच्छे लोग चुनकर आने चाहिए। लोगों का यह भी मानना है कि प्रदेश में जिसकी सरकार होती है, उससे विकास के मामले में सहायता अधिक मिल सकती है। कहा यह भी जा रहा है कि साफ तौर पर किसी लहर का एहसास तो नहीं हो रहा है और लोगों को इस बात से ज्यादा मतलब है कि जो लोग मैदान में हैं उनके कामकाज की शैली क्या है और उनसे संबंध कैसे हैं। पंचायत स्तर के चुनाव में यह बात ज्यादा मायने रख रही है। कहा गया कि इस बार के नतीजे इसी धारणा को सच साबित करते नजर आएंगे।
बड़ी पंचायतों में फोकस
कोरबा जिले की सबसे बड़ी पंचायत में शामिल तिलकेजा, रजगामार और बरपाली (जिल्गा) में इस बार भी पुराने लोग सरपंच के पद पर मैदान में हैं। उन्होंने अपने वातावरण को मजबूत करने के लिए सामान्य रूप से चुनाव प्रचार किया। हालांकि उन्होंने ट्रेंड को कुछ हद तक बदलने पर भी ध्यान दिया है। तिलकेजा पंचायत में युवा उम्मीदवार कुल सिंह कंवर और बरपाली में पूर्व सरपंच समेलाल कंवर की पत्नी की स्थिति मजबूत बनी हुई है। वहीं रजगामार में मिले-जुले समीकरण होने की खबर है।