जांजगीर। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में आचार्य पं. राजकुमार मिश्र महाराज ने श्रीकृष्ण के जन्मकथा का वर्णन किया। बताया कि उनके जन्म की खुशी में याचकों को अपार धन, अन्न, गाय आदि का दान किया गया। इसके बाद उनके दिव्य दर्शन करा कर सैकड़ों श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
उन्होंने श्रीकृष्ण के बाल लीला का व्याख्यान करते हुए कहा कि वे माखन चुरा कर इसलिए खाते थे, कि ताकि मैया यशोदा की डांट उन्हें खानी पड़े। मां के डांट में उन्हें प्यार नजर आता था। यशोदा मैया जब श्रीकृष्ण के नटखटता से त्रस्त हो गई तो एक बार उन्हें ओखल में बांध दिया और अपने दैनिक कार्य को निबटाने लगी, लेकिन साक्षात नारायण अवतार को बांध कर रखना कोई मामूली बात नहीं थी। फिर तो बड़े-बड़े वृक्ष गिरने लगे धरती हिलने लगी। तब यशोदा मैया को एहसास हुआ कि उनका पुत्र कोई मामूली बच्चा नहीं। साक्षात नारायण को पुत्र के रूप में पाकर वह धन्य-धन्य हो गई।
उन्होंने पूतना वध से लेकर गोपियों संग रासलीला की प्रस्तुति भी बड़े ही मनोरम तरीके से प्रस्तुत किया। भागवत कथा सुनने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल पर उमड़ी। श्री नन्द जी जीवात्मा, मथुरा देह, गोकुल हृदय जब गोकुल छोडक़र देह रूपी मथुरा में जाते हैं, तब अज्ञान रूपी पूतना उत्पात करती है। आचार्य राजकुमार मिश्र ने बताया कि श्री कृष्ण जी ने काम क्रोध लोभ मोह अहंकार रूपी तृणावर्त, सकरा सुर, अधासुर, बकासुर आदि दैत्यों का संहार किया।