मालखरौदा। मालखरौदा धान की फसल कटने के बाद खेतों में पराली को जलाया जा रहा है। इससे जहां खेतों की उत्पादकता असर पड़ रहा है, वहीं वायु भी जहरीली हो रही है। इसके नुकसानों को देखते हुए एनजीटी ने भी ऐसा करना दंडनीय बताते हुए ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाने की बात कही है। इसके बावजूद किसान उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कृषि विभाग के अनुसार विभिन्न गांवों के किसानों ने बड़ी मात्रा में धान का फसल लगाई जो अब कटने के बाद किसान खेतों में पड़े पराली को जला रहे हैं जिसको जलाने से किस प्रकार से मानव एवं वातावरण के साथ जीव जंतु को कितना नुकसान होता है, उसके बारे में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मालखरौदा के वतन जाधव ने बताया कि पराली जलाने से वातावरण में जहरीली गैस जैसे मीथेन कार्बन मोनोऑक्साइड नाइट्रिक ऑक्साइड फैलने से प्रदूषण फैलता है, जो मानव के साथ पशु पक्षी के लिए भी हानिकारक होता है, वही खेत में सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते है और उन्हीं की रासायनिक क्रिया पौधों को उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले केचुआ, मकड़ी, बैक्टीरिया, फफूंद को इससे नुकसान पहुंचता है। साथ ही पराली जलाने के लिए पशुओं को चारा नहीं मिल पाता।