नई दिल्ली। शहरों में निर्धन और मध्यम वर्ग को आवास उपलब्ध कराने के लिए पीएम आवास योजना के तहत केंद्र सरकार ने पहले चरण में छह लाख से अधिक घरों के निर्माण को लेकर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। पीएम आवास योजना के दूसरे चरण में शहरों में पांच साल में एक करोड़ घर बनने हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार के साथ लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों ने एमओयू पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि लगभग सभी राज्यों से घर के प्रस्ताव मिले हैं। राज्यों में लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया अगले साल के शुरुआत में आरंभ हो जाएगी। डिमांड सर्वे और उनका प्रमाणन अगले मार्च तक पूरा कर लिए जाने की योजना है। इसके साथ ही राज्यों को मार्च तक ही अपने यहां एफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी तैयार कर लेनी है, जो कि पीएम आवास योजना के लिए किए गए एमओयू की एक अनिवार्य शर्त है।
छह लाख घरों के निर्माण के साथ ही केंद्र सरकार किरायेदारी के मॉडल वाली एफोर्डेबेल रेंटल हाउसिंग पर भी इस बार काफी जोर दे रही है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर और कम आय वर्ग के उन लोगों को किराये पर आवास उपलब्ध कराए जाएंगे जो घर नहीं खरीदना चाहते हैं। इसमें कामकाजी महिलाओं पर खास ध्यान दिया गया है।
एफोर्डेबल रेंटल हाउसिंह के दो मॉडल हैं। पहला पीपीपी आधार पर मौजूदा सरकारी रिक्त सरकारी भवनों को किराएदारी के लिए तैयार करना और दूसरा मॉडल निजी और सरकारी उपक्रमों को इसके लिए प्रोत्साहन देना कि वे किराए वाले घरों का निर्माण करें और उनका संचालन तथा रखरखाव करें। इसके लिए सरकार सहायता उपलब्ध कराएगी। यह मॉडल खास तौर पर औद्योगिक श्रमिकों और कामकाजी महिलाओं के लिए है।