नईदिल्ली, 04 जुलाई [एजेंसी]। वर्चुअली होने वाली इस बैठक में पाकिस्तान से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जुड़ेंगे। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत सदस्य देशों के अन्य नेता शामिल होंगे। इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक कनेक्टिविटी और व्यापार सहित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी। शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में हुई थी। एससीओ एक प्रभावशाली समूह है जिसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे सदस्य देश शामिल हैं। पुतिन और शी के इस साल सितंबर में नई दिल्ली का दौरा करने की उम्मीद है। दोनों नेता भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी मौजूद रहेंगे। इस बीच खबर है कि पश्चिम और रूस नियंत्रित बाजार में चीन अपने परमाणु असैन्य ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने में लगा है। इसी के तहत पिछले महीने चीन ने पाकिस्तान के साथ 4.8 अरब डालर के परमाणु ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विशेषज्ञों द्वारा इसे चीन की ओर से जानबूझकर उठाया गया कदम बताया जा रहा है। चीन ने यह समझौता ऐसे समय किया है जब उसे पाकिस्तान में अपने निवेश को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि चीन का झुकाव आर्थिक से ज्यादा रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर है। परमाणु नीति कार्यक्रम विशेषज्ञ मार्क हिब्स ने कहा कि चीन पाकिस्तान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण जारी रखना चाहता है जिससे चीन के उद्योग अधिक आकर्षक परमाणु ऊर्जा बाजारों में प्रवेश करने का ट्रैक रिकार्ड बना सकें।