चंापा। सरकार ने 10 जून से रेत उत्खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन मजे की बात यह है कि आज भी चोरी छिपे दर्जनों रेत घाटों से धड़ल्ले से रेत उत्खनन जारी है। कुछ इसी तरह की शिकायतों की भनक लगने पर पहरिया के पत्रिका संवाददाता ने नवागांव से गुजरी हसदेव नदी की ओर रिपोर्टिंग के लिए गया तो उनकी आंखें फटी रह गई। नवागांव के रेत घाट में सरकार के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही थी। यहां ग्रामीणों ने डंके की चोट पर खुलेआम हसदेव नदी से रते निकाल रहे थे। न तो उन्हें खनिज अफसरों का डर था और न ही जिला प्रशासन का। उन्हें तो बस अपना टारगेट पूरा करने का जिम्मा था। दरअसल, यहां के ग्रामीण अपने दम पर स्थानीय पंचायत के सहयोग से खुलेआम 150 ट्रिप (टै्रक्टर) में रेत निकालने की पड़ी थी। बताया गया कि यहां प्रत्येक ट्रिक के पीछे बतौर उगाही के रूप में 600 रुपए लिया जा रहा है। यह रेत बाजार में 2500 रुपए में खपाया जा रहा है। क्योंकि डंपिंग यार्ड से यदि आप रेत खरीद रहे हैं तो आपको 3 हजार से ऊपर पड़ेगा। महंगाई के दौर में लोग आज भी दो नंबर की रेत का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि एक नंबर में रेत लेंगे तो आपको तीन हजार रुपए से अधिक कीमत में मिलेगा। बताया जा रहा है कि रेत माफियाओं की खनिज अफसरों से तगड़ी सेटिंग है। यदि पेपर में खबर आएगी तो खनिज अधिकारियों की आंख खुलती है। खनिज अधिकारी या अन्य अफसर जांच में जाएंगे तो माफियाओं को पहले अलर्ट कर दिया जाता है। ताकि वह रेत घाट से अपना साजो सामान समेटकर रख ले। जब खनिज अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं तो इनका कारोबार बंद रहता है। ऐसे में खनिज अधिकारी बैरंग लौट जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि पंचायत को भी इसकी जानकारी है । लेकिन पंचायत भी आंखें मूंदे बैठी रहती है।