
जांजगीर। जिले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें खराब हो जाने के कारण हवा भी खराब होने लगी है। निर्माणाधीन हो या सामान्य सड़क यहां दिन रात धूल उड़ रही, जिसके कारण लोग परेशान हैं। धूल और सड़क पर चलने वाले भारी वाहनों के कारण जिले के भीतर हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है। हाल यह है कि एक्यूआई (एयर क्वालिटी लेवल) कही 85 तो कहीं उससे अधिक जा पहुंंचा है। इसका मतलब वहां की हवा अब खराब होने लगी है। हवा की ऐसी स्थिति सामान्य लोगों के लिए अत्यधिक गंभीर नहीं है, लेकिन जिन्हे सांस से संबंधित बीमारी है उनकी परेशानी बढ़ सकती है। तरौद, नरियरा-मुलमुला बाइपास पर 15 किमी के दायरे में एक्यूआई 83 तक पहुंच गया है। भैंसो, मुलमुला, नरियरा, कोनार, सेानसरी, बनाहिल, कोसा, कुटीघाट, डिघोरा सहित आसपास के अन्य गांवों के लोगों को जिला मुख्यालय आने के लिए एक मात्र यही सड़क है। इस सड़क के दोनों ओर नाली निर्माण किया जा रहा है, इसके अलावा पुरानी सड़क भी खराब हो चुकी है, जिसके कारण इस पंद्रह किमी के दायरे में हवाओं में धूल घुल गई है। इस रास्ते से गुजरने वालों को भारी वाहनों के पीछे से धूल स्नान करते हुए निकलना पड़ता है। धूल के कारण सड़क के आस पास मकान में रहने वाले लोगों को परेशानी बढ़ गई है। धूल के कारण रास्ते में सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। दैनिक भास्कर की टीम ने अप्रत्याशित धूल उडऩे वाली सड़क पर एनडीएमए (राष्?ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) द्वारा जारी सचेत एप से तरौद बनाहिल होते हुए नरियरा मुलमुला पहुंच मार्ग पर 15 किलोमीटर के दायरे में एक्यूआई की पड़ताल कि तो पाया कि वहां हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। यहां हवा अब अच्छी नहीं है, लगातार धूल उडऩे वाले स्थानों पर एक्यूआई से 83 से 150 तक जा पहुंचा है। इन सड़कों पर बिना मास्क के निकलने पर स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। मुलमुला-नरियरा के बीच पीडब्लूडी द्वारा सड़क पर नाली बनाने का काम पिछले दो माह से किया जा रहा है नाली के सड़क पर मटेरियल व मिट्टी बेतरबी से डंप कर दिया गया है साथ सड़क पहले से खराब हो गई है जिसके कारण जिसके कारण वहां लगातार धूल उड़ रही है। मुलमुला गुरूवार बाजार से चौक तक इस 500 मीटर के दायरे में अगर कोई भारी वाहन निकले तो पीछे चलने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती है। ठेकेदार द्वारा निर्माणाधीन सड़क पर पानी छिड़काव करवाने ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां की हवा में सांस लेने में हो सकती है परेशानी क्षेत्र में बड़ी संख्या में क्रशर प्लांट हैं यहां से रोजाना भारी वाहनों का आना जाना लगा रहता है। तय मापदंडों के मुताबिक क्रशर मालिकों को पत्थर तोड़ते समय पानी का छिड़काव करना आवश्यक होता है। साथ ही क्रशर मशीन स्थापित क्षेत्र के आसपास फलदार व छायादार वृक्ष लगाने का प्रावधान है। जिले के क्रशर संचालक इस नियम का पालन ही नहीं करते हैं। रोड पर क्रशर खदान से निकले वाले धूल उड़ती रहती है। सड़क पर अत्यधिक धूल होने से ऑब्सट्रक्टिव एंड रेस्ट्रिक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ मतलब फेफड़े में परेशानी और सांस की तकलीफ का कारण बन सकती है और लंबे समय तक लगातार खांसी आ सकती है। धूल के कारण अस्थमा, हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस ऐसे कई बीमारियां हो सकती है। धूल हानिकारक है इससे कई प्रकार की बीमारी का खतरा रहता है। -डॉ शाहबाज खांडा, एमडी मेडिसिन डीएच जांजगीर


























