कोरबा। मोटर व्हीकल एक्ट में नए प्रावधान जोडऩे की तैयारी केंद्र सरकार कर रही है। इसका चौतरफा विरोध जारी है। पहले भारी वाहनों के चालकों ने इसे लेकर प्रदर्शन किया। अब यात्री बसों के साथ-साथ स्कूल बसों के पहिए थम गए हैं। अन्य क्षेत्रों में चलने वाले वाहनों पर भी इसका असर पड़ा। वाहनों के नहीं चलने से इनसे संबंधित सेवाएं सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है और कुल मिलाकर इसकी मार जनता पर पड़ रही है। सड़क हादसों के कारणों और इसके लिए जवाबदेही तय करने के साथ सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रखी है। इसमें सख्ती के साथ जुर्माना और दंड को भी जोड़ा गया है। जानकारों के मुताबिक सड़क हादसों के लिए दोषी पाए जाने पर संबंधित चालक को 10 वर्ष की सजा और 5 लाख की पेनाल्टी देनी होगी। यह नियम पहले नहीं था। हालिया प्रयासों में इसे जोडऩे की कवायद की जा रही है। जानकारी मिलने के साथ हर तरफ इसका विरोध शुरू हो गया। पहले भारी वाहनों और इंधन की आपूर्ति के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट से जुड़े हुए चालकों के यूनियन ने विरोध प्रदर्शन प्रारंभ किया। हवा तेज होने पर दूसरे व्यवसाय से संबंधित चालकों ने भी समर्थन किया। कोरबा में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के टैंकर चलाने वाले चालकों ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद कोयला और राखड़ ट्रांसपोर्ट की बारी आई। मामला समझ में आने पर विभिन्न मार्गों पर चलने वाली यात्री और सिटी बसों के पहिए थम गए। नतीजा ये रहा कि जिले से अनेक मार्ग पर सफर करने वालों को अपने कार्यक्रम रद्द करने पड़े। कोरब में टैक्सी यूनियन से लेकर दूसरे संगठन से संबंधित चालकों ने भी गाडिय़ां नहीं चलाई और इस कानून का विरोध जताया। आज भी यहां के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टैंड के साथ-साथ पुराने बस स्टैंड में सन्नाटा पसरा रहा। जबकि सिटी बसें अपने जमनीपाली टर्मिनल में नजर आई।
स्कूल बसें थमीं, कई जगह छुट्टी
कानून के विरोध में हड़ताल कर रहे वाहन चालकों के नहीं पहुंचने से जिले में अधिकांश स्कूल बसों का संचालन नहीं हो सका। ऐसे में विकल्प के तौर पर अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। जबकि लंबी दूरी से दूसरे क्षेत्र के स्कूल जाने वाले बच्चे स्कूल बसें नहीं चलने से नहीं जा सके। जानकारी होने पर ऐसे विद्यालय प्रबंधनों को छुट्टी की घोषणा करनी पड़ी। कहा गया है कि स्थिति सामान्य होने तक पठन-पाठन बाधित रहेगा। बाजार भी प्रभावित, कालाबाजारी तेज
वाहन चालकों की हड़ताल ने वाणिज्य क्षेत्र को भी प्रभावित किया है। कोरबा में जिन क्षेत्रों से सब्जी की आवक होती है, हड़ताल के चक्कर में वह थम गई। बुधवारी बाजार में आवक के अभाव में दूसरे क्षेत्रों को इसकी आपूर्ति करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में सब्जियों की कीमत बढऩा स्वाभाविक है। केवल सब्जी ही नहीं बल्कि आम जरूरत की चीजों के कृत्रिम शार्टेज का एक रास्ता बड़े कारोबारियों को मिल गया है। आशंका जताई जा रही है कि मौके का लाभ लेकर ऐसे लोग कालाबाजारी कर सकते हैं। कोविड के दौरान ऐसे कई कारोबारियों के चेहरे प्रशासन की कार्रवाई से बेनकाब हुए थे।