कोलकाता, ३० दिसम्बर ।
कोलकाता पुलिस ने शनिवार देर रात उत्तर 24 परगना जिले के गायघाटा से मनोज गुप्ता नामक आरोपित को उसके घर से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसे गिरोह का सरगना बताया है। गुप्ता कोलकाता के बेहाला का निवासी है और एक ट्रैवल एजेंसी की आड़ में फर्जी पासपोर्ट रैकेट चला रहा था। वह यूरोप जाने के लिए बांग्लादेशियों को वीजा जारी करता था। मनोज को 10 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। मामले में अब गिरफ्तार लोगों की संख्या बढक़र सात हो गई है। आरोपितों के पास से कई फर्जी दस्तावेज, हार्ड डिस्क ड्राइव, एक कंप्यूटर और एक लैपटाप जब्त किए गए हैं। यह गिरोह फर्जी पासपोर्ट बनाता था, जिसका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेशियों को अवैध पहचान पत्र हासिल करने में मदद करना था। पता सत्यापन के लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं फर्जी पासपोर्ट रैकेट मामले में राज्य पुलिस पर पासपोर्ट वेरिफिकेशन (सत्यापन) में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। इन सबके बीच इस मुद्दे पर बंगाल पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार का कहना है कि पुलिस पासपोर्ट के पते के सत्यापन के लिए जिम्मेदार नहीं है। बल्कि यह कार्य पासपोर्ट प्राधिकरण के अंतर्गत आता है। पासपोर्ट प्राधिकरण के मौजूदा दिशा- निर्देश भ्रामक हैं, जो कमियां पैदा करते हैं। जिसका फायदा धोखाधड़ी के लिए उठाया जा सकता है। पासपोर्ट सिस्टम में कमियों के बारे में हमने संबंधित एजेंसियों को बताया है। हमने सुझाव दिया है कि इसे बदला जाना चाहिए। अब से सत्यापन पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। झारखंड समेत अन्य प्रांतों में बांग्लादेशी घुसपैठ और अवैध आप्रवासन से जुड़ी गतिविधियों को लेकर जारी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इसका कोई डाटा केंद्रीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है। संबंधित जानकारी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों या आप्रवासन ब्यूरो (ब्यूरो आफ इमिग्रेशन) के पास हो सकता है।झारखंड जनाधिकार महासभा से जुड़े सिरज दत्ता ने सूचना अधिकार के तहत आनलाइन आवेदन के जरिए इससे संबंधित जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांगी थी। उन्होंने आग्रह किया था कि गृह मंत्रालय हर राज्य में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बताए। मंत्रालय हर राज्य में बसे बांग्लादेशी घुसपैठियों के लव जिहाद और लैंड जिहाद से जुड़े मामले के बारे में भी जानकारी दे। यह भी बताएं कि इसे लेकर क्या प्रशासनिक कदम उठाए गए।
इसके उत्तर में यह जानकारी दी गई कि घुसपैठिये भारतीय सीमा में चुपके से प्रवेश करते हैं। देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों और उनकी गतिविधियों से संबंधित कोई डाटा केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर उपलब्ध नहीं है।