कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा और आसपास के क्षेत्रों में छेरछेरा पर्व परंपरा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व मकर संक्रांति से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण लोक पर्व है, जिसमें समाज के सभी वर्ग एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं।
छेरछेरा पर्व का मुख्य उद्देश्य नई फसल के आगमन की खुशी मनाना और समाज में सामूहिकता और उदारता को प्रोत्साहित करना है। बच्चों और युवाओं की टोली सुबह से ही गांव और मोहल्लों में घूमकर ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा’ के पारंपरिक नारे लगाते हुए घर-घर जाकर अनाज, धान और दान प्राप्त करती हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन दान देने से समृद्धि और खुशहाली बढ़ती है।
इस पर्व पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोग खुले दिल से दान करते हैं। बच्चे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह न केवल उत्सव का मौका होता है बल्कि एकता और परंपरा से जुडऩे का भी अवसर होता है। कोरबा जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में यह पर्व पारंपरिक मान्यताओं और उत्साह के साथ संपन्न हुआ, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और लोक परंपरा को सशक्त बनाता है।