जांजगीर-चांपा। बिजली विभाग हर साल प्री मानसून मेंटेनेंस पर प्रति जोन 12-15 लाख रुपए खर्च करता है, लेकिन हल्की बारिश और हवा से घंटों बिजली गुल हो जाना शहरवासियों के लिए आम समस्या बन गई है। रविवार दिन और शनिवार की रात शहर के बड़े हिस्से में बिजली आपूर्ति बाधित रही। विभाग की तकनीकी टीम भले ही मेंटेनेंस के नाम पर फीडरों और ट्रांसफॉर्मरों की जांच करती हो, लेकिन मामूली मौसम परिवर्तन पर भी बिजली गुल हो जाती है।
बिजली कंपनी के अनुसार, हर साल अप्रैल की शुरुआत में प्री मानसून मेंटेनेंस शुरू होता है। इसके तहत हाइटेंशन लाइनों, ट्रांसफॉर्मर्स और सब स्टेशनों का निरीक्षण और मरम्मत की जाती है। पेड़ों की कटाई, इंसुलेटर बदलना, ढीले तारों को कसना और ब्रेकर की जांच जैसे कार्य किए जाते हैं। इसके बावजूद हवा,बारिश के दौरान बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। रविवार को भीमा तालाब इलाके का ट्रांसफॉर्मर खराब होने से कई घंटे बिजली बंद रही।
तकनीकी खराबी का बहाना
नैला जोन के जेई सौरभ कश्यप ने बताया कि खुली बिजली व्यवस्था के कारण पेड़, लकड़ी या अन्य कारणों से तारों पर असर पड़ता है। बारिश और आंधी के समय ब्रेकर ट्रिप होने से बिजली आपूर्ति बाधित होती है। उन्होंने कहा कि विभाग उपभोक्ताओं को कम से कम परेशानी हो, इसकी कोशिश करता है।
बिना बारिश के भी बिजली बंद
शहरवासियों का कहना है कि विभाग बारिश और आंधी का बहाना बनाकर बिजली बंद करता है, लेकिन अब बिना किसी खराब मौसम के भी आपूर्ति बाधित होती है। वार्ड 21 निवासी धनंजय दूबे ने कहा, पहले आंधी और बारिश में बिजली जाती थी, लेकिन अब हल्के मौसम बदलाव में भी बिजली बंद हो जाती है। इससे हमें बड़ी परेशानी होती है। बीडी महंत इलाके के निवासी,जय राठौर ने कहा, विभाग के अधिकारी मेंटेनेंस के नाम पर सालभर बिजली बंद रखते हैं, फिर भी समस्याएं जस की तस रहती हैं। यह उपभोक्ताओं के साथ मजाक है।
जनता परेशान, जवाबदेही की मांग
शहरवासी यह सवाल उठा रहे हैं कि हर साल मेंटेनेंस पर लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद बारिश के समय समस्या क्यों आती है। क्या मेंटेनेंस में अनियमितताएं हैं या फिर विभाग उपभोक्ताओं को गंभीरता से नहीं लेता? बिजली की समस्या पर त्वरित समाधान की जरूरत है।