
जांजगीर – चांपा। जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय निकायों में राजस्व अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। डेढ़ वर्ष पूर्व तत्कालीन एसडीएम ने मौका निरीक्षण कर 49 लोगों को नोटिस जारी की थी, मगर कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई। जिसके चलते अवैध प्लाटिंग का कारोबार पर विराम नहीं लग रहा है। जांजगीर और चांपा में तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश के बाद कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर किया गया मगर वह केवल औपचारिकता मात्र रही ।
शहर व आसपास के गांव से लगे खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कच्ची सड़क तैयार करते हैं इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन कराना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी दस्तावेजों को पूर्ण करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी डेवलप हो रहे हैं बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। वहीं शहर में ऐसी कई कालोनियां हैं जिनके अवैध प्लाटिंग के मामले विभागों में लंबित हैं।
छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्टेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें पक्की नाली, पी सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध करायेगा मगर जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय निकायों में राजस्व अधिकारियों के रहमोकरम पर अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों पर चल रहा है। यहां रोजाना कई एकड़ खेतों की अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है। यहां प्लाट खरीदने वाले को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते आने वाले समय में यह प्लाट लेने वाले खरीददार भविष्य में फंस सकते हैं, बावजूद इसके लोगों की परवाह किए बिना ही जिला मुख्यालय में राजस्व अधिकारियों की सह पर अवैध प्लाटिंग का दौर जारी है। हालांकि कुछ माह पूर्व नगर में अवैध प्लाटिंग की शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन एसडीएम मेनका प्रधान व तत्कालीन तहसीदार प्रकाश साहू द्वारा आरआई व पटवारी के साथ मिलकर मौका निरीक्षण भी किया गया।
निरीक्षण के दौरान प्लाटिंग अवैध पाए जाने पर एसडीएम कार्यालय से उन्हें नोटिस दिया गया, मगर ढाई माह बाद राजस्व अधिकारी जमीन दलालों के खिलापु कार्रवाई करने से कतराने लगे हैं। वहीं अब राजस्व अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जिम्मेदारी ग्राम एवं नगर निवेश विभाग व नगर पालिका पर थोप कर बचने का प्रयास किया जाने लगा है। नोटिस जारी होने के लगभग दो से ढाई माह बाद एक भी अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलापु कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में विभागीय कार्यशैली पर भी सवालिया निशान उठने लगा है।
सभी नगरीय निकायों में अवैध प्लाटिंग
जिला मुख्यालय के अलावा चांपा, अकलतरा, सक्ती, बाराद्वार, शिवरीनारायण सहित उनसे लगे गांवों की कृषि भूमि में अवैध प्लाटिंग जमकर हो रही है। यहां दलाल छोटे-छोटे जमीनों को एग्रीमेंट कर अवैध प्लाटिंग करते हुए उसे लाखों रूपये में बेचकर मुनापुा कमा रहे हैं। इससे नगरीय निकायों को स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है, वहीं ग्राहकों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। कार्रवाई नहीं होने से अवैध प्लाटिंग करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
रेरा के नियमों का पालन नहीं
रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर बिल्डर पर कार्रवाई का प्रावधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है। वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर तीन साल की सजा का भी प्रावधान एक्ट में है, मगर जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते एक भी अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलापु कार्रवाई नहीं की जा रही है।