कोरबा। स्वर्ण बिंदु प्रासन्न संस्कार की महत्ता प्राचीनकाल से रही है और इसने चमत्कारिक रूप से लाभ दिलाया है। आधुनिक युग में भी इस दिशा में काम हो रहा है। कोरबा में एक मामले में पांच वर्षीय बालक ने तीन महीने तक इस संस्कार से खुद को जोड़ा और बोलने में सफल हुआ। बीते पांच वर्ष से उसके परिजन समस्या से जूझ रहे थे।
लायंस क्लब कोरबा एवरेस्ट एवं शिव औषधालय के संयुक्त तत्वाधान में नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा द्वारा एम.आई.जी 20, आर.पी.नगर फेस 2 निहारिका में सोमवार को आयुर्वेदिक इम्यूनाईजेसन प्रोग्राम के तहत आयुर्वेदिक टीकाकरण के माध्यम से स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार कराया गया। स्वर्ण प्राशन करा रहे पांच वर्षीय बालक तेजस नागमणि की माता मेंदा नागमणि ने बताया की मेरा पुत्र 5 वर्ष का हो गया है, पर वो कुछ भी बोल नहीं पाता था। सिर्फ इशारे से बात करता था। अब तीन महीने से स्वर्ण प्राशन संस्कार करा रही हूँ। जिसके कराने के बाद मेरा पुत्र बोलने लगा है। उन्होंने शिव औषधालय संस्थान की संचालिका श्रीमती प्रतिभा शर्मा एवं संस्थान के चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा को उनके चिकित्सकीय सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार शिविर में कविरंजन दास, चक्रपाणि पांडेय, नेत्रनन्दन साहू, कमल धारिया, अश्वनी बुनकर, सिद्धराम सारथी, राकेश इस्पात एवं संध्या बरला ने विशेष रूप से उपस्थित होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सुश्रुत संहिता में उल्लेख
संस्थान के चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा ने बताया कि स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार बच्चों में किये जाने वाले 16 मुख्य संस्कारों में से स्वास्थ्य की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो हजारो वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक टीकाकरण पद्धति है। जिसका उल्लेख हमारे आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ काश्यप संहिता एवं सुश्रुत संहिता में प्रमुखता से है जो प्राचीन समय से चला आ रहा है। लेकिन अब यह संस्कार विलुप्त हो गया है जिसे पुनर्जीवित करने का प्रयास संस्थान द्वारा स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार के माध्यम से किया जा रहा है। जिससे स्वस्थ निरोगी समाज का निर्माण हो सके।