कोरबा। आखिर ऐसी क्या वजह है कि सभी तरह के विकल्प खुले होने पर भी कोरबा शहर में आबादी वाले क्षेत्र से भारी वाहनों को चलाने की मजबूरी है। इसके दुष्परिणाम सामने हैं। भारी वाहनों के लगातार परिचालन और दबाव भी यहां की रिकांडो रोड को पस्त कर रखा है। महाराणा प्रताप चौराहे के पास गड्ढों के बन जाने से हादसों का डर बना हुआ है।
कुछ समय पहले अलग-अलग प्वाइंट पर प्रशासन के द्वारा लगाए गए नो एंट्री संबंधी सूचना पटल अब गायब है। इन्हें चोरों ने पार कर दिया या जानबूझकर निकाल दिया गया, इसकी जानकारी नहीं मिली है। अगर ऐसा है भी तो नए सिरे से मार्गों पर संबंधित बोर्ड दुबारा नहीं लगाए गए हैं। कहा जा रहा है कि ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स को शत प्रतिशत सहूलियत देने और मेहरबानी करने के इरादे से ऐसा काम किया जा सकता है, इसकी संभावना से आखिर इंकार कैसा। वजह चाहे जो भी हो लेकिन सच्चाई यही है कि तुलसीनगर स्टेडियम मार्ग से होकर डीएसपीएम, महाराणा प्रताप चौराहा, कुआंभ_ा होकर कोयला और राख के साथ-साथ दूसरे वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। सरकारी नियम चाहे जो हो और इसके लिए भले ही कई प्रकार के प्रावधान क्यों न किये गए हों लेकिन इन सबके बावजूद व्यस्त व्यवसायिक और रिहायशी क्षेत्रों से भारी वाहनों का चलना समस्याओं को बढ़ाने का कारण बनता जा रहा है। और तो और जहां कहीं सडक़ पर छोटे गड्ढे थे वे वाहनों के पहिए और उनके वजन के दबाव से लगातार अपने आकार में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। ऐसे में कई बार यहां पर घटनाएं हो चुकी है और कभी भी अप्रिय हादसे होने की पूरी संभावना बनी हुई है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखि इस तरह की खराब तस्वीरों को अधिकारी गंभीरता से लेने तैयार क्यों नहीं है।