रायपुर, 04 फरवरी ।
आरोप पर आरोप लगने की वजह से भूपेश बघेल की छवि गिरती जा रही है। सत्ता जाने के बाद भूपेश बघेल के खिलाफ सैकड़ों शिकायत कांग्रेस हाईकमान को मिले है। पार्टी के लिए ओबीसी नेता होने की वजह से भूपेश बघेल पर कार्रवाई करने का भी आरोप अब बड़े नेताओं पर लग रहे है। ताजा शिकायत पत्र सामने आया है।
जिसमें भूपेश बघेल को आदिवासी, सतनामी और साहू विरोधी बताया जा रहा है। आगे शिकायत पत्र में कहा गया है कि राहुल जी आपने उदयपुर सम्मेलन में और कई जगह आदिवासियों के हितैषी होने के बारे में बड़ी-बड़ी बातें की पर आपके संरक्षण के कारण छत्तीसगढ़ प्रदेश जो कि आदिवासी, सतनामी और साहू बाहुल्य क्षेत्र है, यहां पर भूपेश बघेल ने सुनियोजित तरीके से इन्हें कमजोर करने का षडय़ंत्र किया है ताकि इनमें से कोई वर्ग का नेता मुख्यमंत्री का दावेदार कभी ना हो सकें। वैसे भी कांग्रेस ने हमेशा से छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के साथ छल किया जिसके कारण भूपेश का आदिवासी, सतनामी और साहू विरोधी चेहरा सामने आया । आदिवासियों के लिए प्रदेश में 29 सीटें आरक्षित है विधान सभा में, तो भूपेश बघेल हो या टी. एस. सिंहदेव या चरणदास महंत इन तीनों ने मिलकर एक रणनीति के तहत् आदिवासी नेतृत्व को कमजोर किया और कोई भी आदिवासी नेता मुख्यमंत्री का चेहरा ना बने. करके सबसे पहले जो आरक्षित सीटों की संख्या पहले 34 थी उसे षडय़ंत्रपूर्वक घटाकर 29 कर दिया, कांग्रेस ने हमेशा चाहें अरविंद नेताम हो या महेन्द्र कर्मा, मोहन मरकाम, प्रेमसाय सिंह या राम पुकार सिंह या अमरजीत भगत, बोधराम कंवर हो या दीपक बैज प्यारे लाल कंवर, लखेश्वर बघेल हो या मनोज मंडावी, झुमुक लाल भेडिय़ा हो या चनेश राम राठिया, महेन्द्र बहादूर हो देवव्रत हो या सुरेन्द्र बहादूर ऐसा कोई आदिवासी नेता जो मुख्यमंत्री का दावेदार हो सकता था। उन्हें बघेल, महंत और सिंहदेव ने मिलकर निपटाया अन्य मामले में तीनों में मतभेद हो जाते हैं पर जहां कोई आदिवासी, सतनामी या साहू नेतृत्व उभरता है ये तीनों एक हो कर उन्हें निपटाते है या पार्टी छोडऩे को मजबूर कर देते हैं। उन्हें अपमानित कर करके ।