नईदिल्ली, १२ दिसम्बर ।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को मैनुअल सीवर सफाई को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से खत्म करने के लिए अपने निर्देश के अनुपालन पर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर सभी हितधारकों के साथ केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक बुलाएं। ये समिति हाथ से मैला ढोने वाले प्रथा को बंद करने और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 (एमएस अधिनियम, 2013) के कार्यान्वयन की समीक्षा करती है।पीठ ने कहा कि कोर्ट की तरफ से पारित आदेश 2023 में में कहा गया था कि प्रौद्योगिकी के विकास को देखते हुए, हाथ से मैला ढोने वाले प्रथा और सीवर सफाई के लिए श्रमिकों के रोजगार को पूरी तरह से खत्म करना संभव है। ऐसा नहीं किया गया है। रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि बहुत कुछ करने की जरूरत है।न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने दलील दी कि 2024 में सीवर सफाई और सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण 40 लोगों की मौत हुईं, लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।उन्होंने कानूनों का अनुपालन नहीं होने की ओर ध्यान दिलाया। इस मामले पर जनवरी, 2025 में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में केंद्र और राज्यों को उचित उपाय करने और नीतियां बनाने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मैनुअल तरीके से सीवर सफाई को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए।