लखनऊ, १२ जुलाई [एजेंसी]। प्रदेश में जीएसटी से जुड़े वादों की सुनवाई के लिए पांच ट्रिब्यूनल गठित किए जाएंगे। यह ट्रिब्यूनल आगरा, गाजियाबाद, लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी में गठित किए जाएंगे। इन ट्रिब्यूनल का गठन होने के बाद जीएसटी से जुड़े वाद तेजी से निपटाए जा सकेंगे।इसके लिए कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधनों के लिए अध्यादेश के प्रारूप को मंजूरी दे दी है। अधिनियम में यह संशोधन केंद्र सरकार की ओर से पारित कराए गए फाइनेंस बिल के क्रम में किये गए हैं। सरकार विधानमंडल के आगामी सत्र में अध्यादेश का प्रतिस्थानी विधेयक लाएगी। गौरतलब है कि जीएसटी के मूल अधिनियम में ट्रिब्यूनल का प्राविधान नहीं था। इसकी वजह से व्यापारी सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे थे। कोर्ट ने सरकार को जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्देश दिया था। अध्यादेश में व्यापारियों के लिए जीएसटी के मासिक और वार्षिक रिटर्न भरने की अधिकतम समयसीमा तीन वर्ष तय की गई है। अभी तक जीएसटी के रिटर्न भरने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं थी। अध्यादेश के जरिये ई-कामर्स करने वाले छोटे व्यापारियों को जीएसटी के दायरे में लाकर समाधान योजना का लाभ देने का प्राविधान किया गया है। अभी तक आनलाइन व्यापार करने वाले छोटे व्यापारी जिनका सालाना कारोबार 1.5 करोड़ रुपये तक था को जीएसटी की समाधान योजना का लाभ नहीं मिलता था।उन्हें इसके दायरे से बाहर रखा गया था। विभाग की तरफ से अन्य छोटे कारोबारियों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा था। ई-कामर्स व्यापारी अपने कारोबार की एक प्रतिशत राशि जमा कर समाधान योजना का लाभ ले सकेंगे। व्यापारियों के लिए कम्पाउंडिंग की व्यवस्था भी की गई है।